सुप्रीम कोर्ट में 11 मार्च को बिनायक की सुनवाई
५ मार्च २०११61 वर्षीय डॉक्टर बिनायक सेन ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है जिसमें 10 फरवरी को उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया. बिनायक सेन पेशे से बच्चों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर चुके हैं.
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद बिनायक सेन की पत्नी एलिना सेन ने कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगी. बिनायक सेन की दलील है कि निचली अदालत में उन्हें सजा दिए जाने का फैसला सही नहीं है और पर्याप्त सबूत न होने के बावजूद उन्हें दोषी ठहरा दिया गया.
डॉक्टर सेन की याचिका को वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने तैयार किया है. इसमें कहा गया है कि सेन पहले ही दो साल जेल में गुजार चुके हैं और अब उन्हें जमानत मिल जानी चाहिए. बिनायक सेन पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टिज के उपाध्यक्ष हैं.
उन्हें देशद्रोह और माओवादी नेताओं की मदद करने के जुर्म में उम्र कैद सुनाई गई है. माओवादी नेता नारायण सान्याल, कोलकाता के व्यापारी पीयूष गुहा के साथ बिनायक सेन पर आरोप लगा था कि वे राज्य की सत्ता से लड़ाई के लिए माओवादियों के लिए एक नेटवर्क बना रहे हैं.
हाई कोर्ट में जेठमलानी ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी थी कि सेन पर लगाए गए आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और यह मामला बिनायक सेन को राजनीतिक निशाना बनाए जाने के अलावा कुछ नहीं है. बिनायक सेन को दोषी करार दिए जाने और आजीवन कारावास की सजा मिलने से भारत और अन्य देशों में बौद्धिक वर्ग में रोष है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी इस मसले पर अपनी चिंता जाहिर की है.
बिनायक सेन के परिवार के सदस्य, पीयूसीएल कार्यकर्ता, यूरोपीय संघ के दो सदस्य हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपस्थित थे. यूरोपीय संघ ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में प्रतिनिधियों को उपस्थित रहने देने की अनुमति मांगी थी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल