सुरक्षा परिषद में सीट के लिए समर्थन का संकेत
४ जून २०१०पहली बार रणनीतिक संवाद की शुरुआत करते हुए विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि वह महसूस करती हैं कि भारत क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपनी भूमिका पूरी तरह नहीं निभा रहा है.
क्लिंटन ने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार में वह भारत के दावे का समर्थन करने के लिए समर्पित हैं. क्लिंटन से जब पूछा गया कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सीट के दावे का समर्थन करने में अमेरिका क्यों टालमटोल कर रहा हो तो उन्होंने कहा, "फिलहाल इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं है. लेकिन हम भारत के दावे पर विचार करने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं."
अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत को विश्वसनीय दोस्त और अनिवार्य साझेदार बताया है. "हम मानते हैं कि उभरता भारत अमेरिका और दुनिया के लिए अच्छी बात है. हम दो राष्ट्र, महान लोकतंत्र, आपस में जुड़ी अर्थव्यवस्थाएं समझते हैं कि हमारी किस्मत भी जुड़ी हुई है." क्लिंटन ने कहा कि भारत और अमेरिका को चाहिए कि 21वीं सदी की दिशा तय करने में वे भूमिका निभाएं.
क्लिंटन ने उन संशयों को भी दूर करने का प्रयास किया जिससे यह धारणा मजबूत होती है कि अमेरिका भारत को सिर्फ अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संदर्भ में ही देखता है. क्लिंटन के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान से इस तरह जल्दबाजी में सेना नहीं बुलाएगा कि भारत को बाद में उत्पन्न हुई स्थिति से निपटना पड़े.
रणनीतिक संवाद में दोनों पक्षों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान की स्थिति पर चर्चा के अलावा सुरक्षा, रक्षा, परमाणु ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और कृषि जैसे मुद्दों पर भी बात हुई. जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर दोनों देश नया संवाद स्थापित करने और खाद्य सुरक्षा के लिए वर्किंग ग्रुप बनाने पर राजी हुए हैं. अगले साल दिल्ली में बैठक होने पर भी सहमति हुई हैं.
आतंकवाद के मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि दोनों देश मानते हैं कि आतंकवादी गुट एक सिंडीकेट की तरह काम कर रहे हैं जिसके तहत एक दूसरे की ताकत का मिलजुल कर इस्तेमाल किया जाता है और बिना आपसी सहयोग के इससे मुकाबला नहीं किया जा सकता. कृष्णा ने खुशी जताई कि भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद से मुकाबले के लिए सहयोग आगे बढ़ रहा है.
अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में भारत की भूमिका का समर्थन करते हुए क्लिंटन ने माना कि युद्ध से बेहाल अफगानिस्तान में भारत का भी बहुत कुछ दांव पर लगा है. अफगानिस्तान में विकास कार्यों में भारत की भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्होंने सहयोग बढ़ाने की उम्मीद जताई है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य