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सेक्स पर मुंह खोल रहा है भारत

१ दिसम्बर २०१२

भारत सेक्स पर ग्रंथ लिख सकता है लेकिन बोलता नहीं, यह धारणा अब टूट रही है. बकायदा कांफ्रेंस बुला कर सेक्स पर विधिवत चर्चा हो रही है और मुद्दों को लेकर किसी के मन में कोई हिचक नहीं.

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तस्वीर: AP

भारत में बढ़ते शहरों ने लोगों की सेक्स को लेकर धारणाओं को बदला है और लोग अब इस पर खुल कर बात करने लगे हैं. सेक्सुअलिटी पर हुई एक कांफ्रेंस के दौरान जानकारों के बीच इस पर विस्तार से चर्चा हुई कि किस तरह से यह बदलाव रिश्तों की चाल और पूरे समाज पर असर डाल रहा है. क्या भारत के शहरी लोगों को सेक्स से मिलने वाली संतुष्टि पिछले एक दशक में कम हुई है. शादी से पहले सेक्स क्या अब भी अनुचित माना जा रहा है. क्या महिलाओं की तुलना मे पुरुष ज्यादा सेक्स से संतुष्ट जीवन जी रहे हैं. क्या औरतें पुरुषों की तुलना में अपने साथी के प्रति ज्यादा निष्ठावान हैं.

सेक्सपोजिशन 2012 में इसी तरह के मुद्दों पर चर्चा हुई. सेक्सुअलिटी और कामुकता पर भारत के इंडिया टुडे समूह ने पहली बार यह कांफ्रेंस बुलाई. इंडिया टुडे समूह पिछले कई सालों से इन मुद्दों पर सालाना सर्वे कराता रहा है. इसी सर्वे की 10वीं सालगिरह पर यह आयोजन हुआ. इसमें फिल्मी दुनिया, शिक्षा जगत और मीडिया से जुड़ी मशहूर हस्तियों ने पोर्नोग्राफी, किशोरावस्था से पूर्व सेक्स, बीवियों की अदला बदली और भारत की उभरती नारियों के बारे में चर्चा की.

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सेक्स से जुड़े आंकड़े

सेक्स के बारे में बात करना भारत के ज्यादातर हिस्सों में अब भी अनुचित समझा जाता है. 16 शहरों के करीब 5,000 लोगों से बात करके इंडिया टुडे ग्रुप ने इस साल के सेक्स सर्वे के नतीजे तैयार किए हैं. सर्वे के नतीजे काफी चौंकाने वाले हैं. बड़े शहरों के करीब 18 फीसदी लोगों ने अवैध संबंध रखने की बात मानी है जबकि छोटे शहरों में ऐसा करने वाले लोग 13 फीसदी हैं. सर्वे में शामिल 58 फीसदी लोग मानते हैं कि सेक्स की बढ़ती मौजूदगी के कारण लोग अपने साथी के साथ धोखा कर रहे हैं जबकि छोटे शहरों में केवल 40 फीसदी लोग ऐसा मानते हैं. 

छोटे शहरों की 60 फीसदी और बड़े शहरों की 50 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि उन्हें सेक्स से जुड़े मामलों में बराबरी का हक हासिल है. इसके अलावा सर्वे से यह भी पता चला है कि छोटे शहरों की 38 फीसदी महिलाएं सेक्स के दौरान या उसके बाद गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल कभी नहीं किया जबकि बड़े शहरों में ऐसा करने वाली महिलाएं सिर्फ 24 फीसदी ही हैं. कांफ्रेंस की मेजबान कोयल पुरी ने डीडब्ल्यू से कहा, "भारत में चीजें इतनी ज्यादा बदल रही हैं. सच्चाई यह है कि हमारा इन मुद्दों पर बात करना यह बताता है कि सेक्स के बारे में बात करने में कोई शर्म नहीं है, हम सेक्स से जुड़े कुछ छिपे हुए पहलुओं पर बात कर रहे हैं."

तांत्रिक सेक्स गुरु मां आनंदा सरिता ने इस दौरान इस बात पर जोर दिया कि भारतीय लोगों को तंत्र के आनंद को दोबारा हासिल करने की जरूरत है ताकि वह पैसे और ताकत के पीछे भागने से जीवन में आई नीरसता को खत्म कर सकें. उन्होंन कहा कि महिलाओं की जरूरत प्यार, अंतरंगता और सहचर्य के इर्द गिर्द मंडराती है जबकि पुरुष शारीरिक आनंद पाना चाहते हैं. मां आनंदा सरिता ने कहा, "यह तंत्र की भूमि है फिर भी लोग इसे भूल गए हैं. मेरा मिशन इसे वापस भारत लाना है."

जानकारों का मानना है कि भारत के शहरीकरण ने जीवनशैली पर काफी असर डाला है. यह असर इस रूप में भी नजर आया है कि औरतें रिश्ते में अपनी जरूरतों के बारे में बोलने लगी हैं, मांग रखने लगी हैं और उन्हें यह सब सहज लगने लगा है. लेखिका शोभा डे ने डीडब्ल्यू से कहा, "खेल बदला है महिलाओं की वजह से. वो आत्मविश्वास से भरी हैं, सफल और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं. सेक्स के मामले में अपनी जगह मांगने में उन्हें अब कोई शर्म नहीं."

सर्वे के मुताबिक छोटे बड़े शहरों में रहने वाली करीब 14 फीसदा महिलाएं सेक्स के लिए एक साथ एक से ज्यादा लोगों को साथी बनाने के बारे में कल्पना करती हैं. भारत में सेक्स और सेक्स संस्कृति पर काफी काम कर चुके समाजशास्त्री संजय श्रीवास्तव महसूस करते हैं कि महिलाओं के सेक्स व्यवहार और सेक्सुअलिटी को लेकर उनके रुख में काफी बड़ा बदलाव आया है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "मुझे लगता है कि महिलाएं अलग अलग तरह का सेक्स चाहती हैं जबकि पुरुष पारंपरिक तरीके ही पसंद करते हैं. महिलाएं पुरुषों के साथ अपने रिश्ते में ज्यादा की मांग करने लगी हैं."

कांफ्रेंस में आए कई जानकारों ने माना कि भारत के लोगों में सेक्स को लेकर बहुत से डर हैं और वो बदलते माहौल में सेक्स की नई जमीन पर अपनी भूमिका तलाशने में जुटे हैं.

रिपोर्टः मुरली कृष्णन/एनआर

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी