सैन्य अधिकारियों को चीन न भेजे सरकार: बीजेपी
८ जनवरी २०१२अरुणाचल प्रदेश में तैनात एक वरिष्ठ भारतीय वायुसेना के अधिकारी को चीन की सरकार ने वीजा देने से मना कर दिया है लेकिन भारत सरकार फिर भी सेना अधिकारियों के प्रतिनिधि मंडल को चीन भेज रही है. इससे बीजेपी के नेता नाराज हैं. पार्टी प्रवक्ता तरुण विजय ने इस फैसले को 'हैरान कर देने वाला' कहा है और पूछा है कि क्या चीन अब भारत की विदेश नीति तय करेगा.
विजय ने कहा, "क्या हमारे सैनिकों के प्रति अब चीन हमारी नीतियां तय करेगा. भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के अफसरों के लिए यह अपमानजनक है. बाकी इलाकों के अफसरों को भी इससे निराशा होगी."
विजय के मुताबिक, जब चीन अरुणाचल प्रदेश से आने वाले अधिकारी को वीजा नहीं देता तो भारत सरकार को चीन में अपना सैन्य प्रतिनिधि मंडल नहीं भेजना चाहिए. "अगर कल कोई अरुणाचल प्रदेश का व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री बना और अगर चीन ने उसे वीजा देने से मना कर दिया तो क्या हम प्रधानमंत्री के बिना उस देश में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे? एक सैनिक का सम्मान किसी प्रधानमंत्री से कम नहीं है."
बीजेपी नेता ने कहा है कि उन्होंने इस मामले में केंद्रीय रक्षा मंत्री एके एंटनी से बात की है जिनसे वह सोमवार को मिल रहे हैं. हालांकि विजय का कहना था कि रक्षा मंत्री को शायद मामले के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दफ्तर में अधिकारियों ने बताया कि मामले को इसलिए रोका गया है क्योंकि चीन अरुणाचल प्रदेश में रहने वालों को नत्थी वीजा देता है, जिसे भारत स्वीकार नहीं करता. चीन और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश के आसपास अंतरराष्ट्रीय सीमा को लेकर कई दशकों से मतभेद है. चीन राज्य के ज्यादातर हिस्से को अपने तिब्बत प्रांत में मानता है.
बीजेपी ने भारत सरकार की सेना प्रमुख वीके सिंह की उम्र को लेकर भी आलोचना की. विजयकहा, "सरकार सेना प्रमुख को ही नहीं, बल्कि सैनिकों को भी अपमानित करती है. इस सरकार में सैनिकों का तिरस्कार होता है. हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इस मामले को सही करें.
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः ओ सिंह