स्केच और कलम से हिंसा का जवाब
पश्चिमी मीडिया ने पेरिस में शार्ली एब्दॉ के पत्रकारों की हत्या का जवाब एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से ही दिया. व्यंग्य पत्रिका के समर्थन में सामने आए ये कार्टून...
कार्टूनिस्ट प्लांटू के बनाए इस कार्टून को लेकर रिपब्लिक स्क्वायर पहुंचे कई लोग. इन हत्याओं को पत्रकारिता, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र पर हमला माना जा रहा है.
हमले के दूसरे दिन पेरिस के रिपब्लिक स्क्वायर पर इकट्ठे हो कर हजारों लोगों ने किया पत्रकारों की हत्या पर दुख और आजादी पर हमले के खिलाफ प्रदर्शन.
पेरिस में हमलावरों का निशाना बने शार्ली एब्दॉ के साथ ब्यूनोस आयर्स का यह व्यक्ति अपनी एकजुटता कुछ इस तरह दिखा रहा है. उसके टैबलेट पर बने इस चित्र पर संदेश है - पूरी तरह शार्ली एब्दॉ के साथ.
मालाइमेजन के नाम से कार्टून बनाने वाले लैटिन अमेरिकी कार्टूनिस्ट ग्विलेर्मो गालिंडो ने कुछ इस तरह व्यक्त किया शार्ली एब्दॉ के कार्टूनिस्टों पर हुए हमले को.
जर्मनी की पत्रिका 'टिटानिक' भी फ्रांसीसी पत्रिका शार्ली एब्दॉ की तरह व्यंग्यात्मक सामग्रियों का प्रकाशन करती है. इस पत्रिका ने भी इस्लाम से संबंधित व्यंग्य और मुसलमानों के बारे में मजाकिया सामग्री का प्रकाशन किया है.
यूक्रेन की राजधानी कीव में फ्रेंच एंबेसी के सामने कई लोग मारे गए पत्रकारों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. 7 जनवरी 2015 को दो हथियारबंद हमलावरों ने शार्ली एब्दॉ के पेरिस कार्यालय पर हमला कर 12 पत्रकारों की जान ले ली थी.
आतंकी हमले में मारे गए इन पत्रकारों के जज्बे और कुर्बानी को याद करते हुए पेरिस की विश्वप्रसिद्ध इमारत आइफेल टावर की लाइटें 8 जनवरी को ठीक 8 बजे पांच मिनट के लिए बुझा दी गईं. यह पत्रकार अब दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ने वालों के प्रतीक बन चुके हैं.