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स्नोडेन से शीतयुद्ध की आहट

८ अगस्त २०१३

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ बातचीत रद्द कर दी है. रूस अमेरिका के जानकार इसमें शीत युद्ध के नए दौर की शुरुआत देख रहे हैं भले ही मुद्दा सिर्फ एडवर्ड स्नोडेन का क्यों न हो.

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तस्वीर: REUTERS

अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस में खीझ गहरी है. इतनी गहरी कि ओबामा ने रूसी राष्ट्रपति के साथ बातचीत रद्द कर दी है. यह बातचीत सितंबर के शुरुआत में होनी थी. दोनों देशों के रिश्ते में पहले से ही तनाव रहा है. अब सवाल है कि राजनीतिक लिहाज से ओबामा का फैसला कितना सही है? या फिर यह कि राष्ट्रपति ओबामा क्या खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, अपनी निजी भड़ास निकाल रहे हैं या फिर घरेलू दबाव के आगे झुक रहे हैं?

ओबामा ने अपने फैसले को उचित ठहराने के लिए जिस खुलेपन के साथ कारण गिनाए हैं वह दुर्लभ है. जब वो रूस के साथ सभी मामलों में बात आगे न बढ़ने का जिक्र करें तो उनसे कौन असहमत हो सकता है. निरस्त्रीकरण से लेकर आर्थिक और कारोबारी रिश्ते, सुरक्षा और मानवाधिकारों पर दुनिया के सवाल इन सब पर दोनों देशों के बीच सहयोग का जो हाल है वह किसी से छिपा नहीं है. रूसी अधिकारियों के एडवर्ड स्नोडेन को शरण की बात ओबामा ने सबसे आखिर में कही.

Putin Freundlich
तस्वीर: A.Druzhinin/AFP/GettyImages

वाशिंगटन केनन इंस्टीट्यूट के मैथ्यू रोजान्स्की ने डॉयचे वेले से कहा, "यह गलती है, यह खासतौर से गलती है कि एक बैठक के रद्द होने का एलान कर देना जिससे पहले शुक्रवार को दोनों देशों के दो दो अधिकारियों, गृह और रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक होनी है." उन्होंने चेतावनी दी है कि ओबामा के फैसले के बाद शुक्रवार की बैठक से अब किसी सकारात्मक नतीजे की उम्मीद बहुत कम है. "अच्छी" खबर बस इतनी है कि ओबामा ने सेंट पीटर्सबर्ग में होने वाले जी20 सम्मेलन में आने से इनकार नहीं किया है जिसकी कुछ विशेषज्ञों को आशंका थी.

रोजान्स्की के मुताबिक ओबामा का पुतिन से न मिलने का फैसला रूसी मानसिकता को गलत तरीके से समझना है, "कारण यह है कि रूस के साथ ऐसे काम नहीं चलेगा कि उन्हें सजा दी जाए और यह उम्मीद की जाए कि वो समझ जाएंगे, अरे हमने गलती कि और अब हम अच्छा व्यवहार करेंगे. इस तरह से रिश्ता नहीं चल सकता. इस रिश्ते के व्यवहारिक बने रहने से फायदा होगा. किसी भी तरह की अवमानना और अपमान रिश्ते के लिए नुकसानदेह होगा."

गैर बराबर साझीदार

रूस की प्रतिक्रिया रोजान्स्की को सही साबित करती दिख रही है. पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी यूश्कोव ने दुख जताया है और समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि क्रेमलिन को ऐसा महसूस हो रहा है जैसे उसे "बराबर का साझीदार" नहीं समझा गया है. दूसरी तरफ अमेरिका का रुख और ज्यादा आक्रामक होता जा रहा है. डेमोक्रैट सीनेटर चक शुमर ने सीएनएन से कहा कि पुतिन "रूस को फिर बड़ी शक्ति" बनाने की कोशिश कर रहे थे और द्विपक्षीय बातचीत में सम्मान देने का कोई मतलब नहीं है. बैठक रद्द करने से एक दिन पहले ही ओबामा ने एक टीवी इंटरव्यू में रूस पर आरोप लगाया कि वह शीत युद्ध वाले दौर की मानसिकता में लौट रहा है.

Obama in Russland mit Putin
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

घरेलू दबाव

ऐसा भी नहीं कि ओबामा ने फैसला केवल अपने मन से किया है. स्नोडेन को रूस में शरण मिलने के बाद कई सीनेटरों ने सोची के विंटर ओलंपिक खेलों का बहिष्कार करने और जी 20 के सम्मेलन को सेंट पीटर्सबर्ग से हटा कर किसी और देश में ले जाने की मांग की. न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर वाल स्ट्रीट जर्नल तक अमेरिकी मीडिया लगातार ओबामा पर रूस के प्रति नरम होने की आलोचना करता है. रूस को लेकर अमेरिका में काफी ज्यादा गुस्सा और दुख है. स्नोडेन मामले ने राष्ट्रपति और कांग्रेस की निराशा और बढ़ा दी है. सीरिया और ईरान पर रूस के रुख से समस्या हो ही रही है स्नोडेन के प्रति सहानूभूति से ओबामा के लिए रुस के साथ रिश्ता बेहतर करने की उस इच्छा को पूरा करना मुश्किल हो गया जिसका जिक्र उन्होंने 2009 में सत्ता संभालते वक्त किया था.

आपसी निर्भरता

दोनों देश अपने रुख से पलटेंगे इसकी उम्मीद बहुत कम है लेकिन फिर भी प्रतिक्रिया में कोई बड़ा कदम उठाएंगे ऐसी आशंका नहीं. बहुत मुमकिन है कि अमेरिका पहले ही पुतिन बाद के दौर की तैयारी कर रहा हो. तब तक वह इस स्थिति को ऐसा ही बने रहने देगा. भले ही एक साझीदार के रूप में रूस का महत्व अमेरिका के लिए कम हो जाए लेकिन फिर भी वह उसकी अनदेखी नहीं कर सकता. रोजान्स्की का कहना है, "रूस हमेशा मेज पर बना रहेगा और दुनिया पर अमेरिका के वजन को संतुलित करने में भूमिका निभाता रहेगा."

रिपोर्टः गेरो श्लीस/एन आर

संपादनः आभा मोंढे