स्पेनी लीग छोड़ने को बेकरार
२८ दिसम्बर २०१३मैड्रिड या बार्सिलोना की टीम में होने का मतलब यह होता है कि चैंपियंस लीग में खेलने की पूरी संभावना. यानी लीग स्तर के सबसे बड़े फुटबॉल का स्वाद. लेकिन हाल के सालों में कई स्पेनी खिलाड़ियों ने ला लीगा और अपने देश के क्लबों की जगह विदेशी क्लबों को वरीयता दी है. खास तौर पर उन्होंने इंग्लैंड और जर्मनी का रुख किया है.
फर्नांडो टोरेस, डाविड सिल्वा, सांती काजोरला, और जीसस नावास इंग्लिश प्रीमियर लीग की तरफ मुड़ गए हैं. जबकि अलवारो डोमिंगेज और थियागो अलकांतारा ने जर्मन लीग फुटबॉल यानी बुंडेसलीगा में खेलने का फैसला किया है. बार्सा और रियाल उनके लिए चमत्कारी शब्द नहीं हैं.
इतना ही नहीं, स्पेन के सबसे बड़े क्लब रियाल और बार्सा भी अपने स्टार खिलाड़ियों को गंवाने जा रहे हैं. खावी अलोंजो ने रियाल और विक्टर वाल्डेस ने बार्सा को अलविदा कहने का मन बना लिया है. वे ला लीगा से बाहर की दुनिया तलाश रहे हैं और उन्होंने कह दिया है कि जून 2014 में खत्म हो रहे कॉन्ट्रैक्ट को वो आगे नहीं बढ़ाएंगे. फीफा नियमों के मुताबिक अब वे एक जनवरी से ही किसी और क्लब से बातचीत कर सकते हैं.
32 साल के अलोंजो एक बार फिर इंग्लैंड पहुंचना चाहते हैं, जहां उन्होंने 2004 से 2009 तक लिवरपूल के साथ खेला है. समझा जाता है कि वह रियाल के साथ अपने वेतन को लेकर भी खुश नहीं हैं क्योंकि गारेथ बेल और क्रिस्टियानो रोनाल्डो को उनसे कहीं ज्यादा पैसे मिलते हैं. हालांकि स्पेनी मीडिया इससे दुखी है. मार्का अखबार ने हेडलाइन लगाई, "प्लीज, मत जाओ". अखबार का दावा है कि कोच और टीम उन्हें रोकने की भरसक कोशिश कर रही है. मीडिया ने यहां तक तर्क दिया है कि बेहतर है कि अलोंजो को ज्यादा पैसे दिए जाएं, बनिस्बत इसके कि किसी नए खिलाड़ी पर खर्च किया जाए.
इस बीच बार्सा के कुछ ऑनलाइन प्रशंसकों ने वाल्डेस के लिए अभियान चलाया है. दो महीने तक चोटिल रहने के बाद 31 साल के वाल्डेस ग्राउंड पर लौटने वाले हैं.
एजेए/एमजे (डीपीए)