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स्मार्टफोन से रोग की जांच ना बाबा ना

२४ अप्रैल २०१३

स्मार्टफोन बात करने के लिए नहीं दूसरे कामों के लिए खरीदे जाते हैं और इनमें बड़ी तेजी से स्वास्थ्य सेवाएं भी शामिल हो गई हें, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि मेडकल ऐप्स से अभी दूर रहना ही अच्छा है.

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तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschke

स्मार्टफोन के मेडिकल ऐप्स बड़ी तेजी से फैलते और लोगों को पसंद आते जा रहे हैं, लेकिन एक जर्मन डॉक्टर ने चेतावनी दी है कि इनमें रोगों की जांच या डॉक्टरों के निर्देश वाले ऐप्स से बचा जाना चाहिए. मेडिकल ऐप्स से बचने की सलाह देने वाले डॉक्टर का कहना है कि इसमें गलतियों की कई संभावनाएं हैं. जर्मन डॉक्टर उर्स फिटो अल्ब्रेष्ट ने बताया, "स्मार्टफोन से सुनाई पड़ने की जांच करने में सारा दारोमदार हेडफोन्स की क्वालिटी पर रहता है. इसी तरह मूत्र की जांच करने वाले स्ट्रिप के परीक्षण कैमरे की क्वालिटी पर और मैं सांस में अल्कोहल की जांच करने के लिए फोन में लगे एडैप्टर पर भरोसा नहीं करता. पुलिस के पास ज्यादा बढ़िया यंत्र है."

Screenshot Smartphone App Application Applikation Campus Deutschland myUDE Universität Duisburg Essen +++EINSCHRÄNKUNG+++
तस्वीर: Universität Duisburg-Essen, ZIM

हनोवर मेडिकल स्कूल के उपनिदेशक डॉ उर्स फिटो अल्ब्रेष्ट मेडऐपलैब के प्रमुख हैं. यह इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल इन्फॉर्मेटिक्स की शाखा है. मेडिकल ऐप से कितनी गलती हो सकती है इसका बड़ा उदाहरण है मेलानोमा का पता लगाने वाला ऐप. अल्ब्रेष्ट ने बताया, "जिन मरीजों को ज्यादा खतरा है वह नियमित रूप से त्वचा कैंसर की जांच कराते हैं और यह आंखों से देख कर पता लगाया जाता है. ऐसे में यह सोचना बहुत आसान है कि सही तस्वीर की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर से इसका पता चल सकता है. आप किसी निशान की तस्वीर या फिल्म बना सकते हैं और फिर गुणा भाग कर यह पता लगाया जाता है कि यह मामूली है या फिर असाध्य." डॉ अल्ब्रेष्ट के मुताबिक, "रिसर्च में सामने आया है कि सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने वाले ऐप ने भी करीब एक तिहाई मामलों में गलत नतीजे दिए.

डॉक्टरों की सलाह है कि स्वास्थ्य का ध्यान रखने वाले मोबाइल ऐप्स को सीधे तौर पर दो भागों में बांट दिया जाना चाहिए. इन सॉफ्टवेयरों को मेडिकल और हेल्थ ऐप्स में बांट कर उलझन दूर की जा सकती है. जर्मनी में मेडिकल ऐप्स के लिए नियम हैं. इनमें शरीर का तापमान, रक्तचाप और खून में मीठे की मात्रा बताने वाले ऐप्स शामिल हैं जो एक एडैप्टर के जरिए काम करते हैं. दूसरे प्रकार के ऐप्स के लिए कोई नियम नहीं है जिसमें मेडिसिन के बारे में बताने वाले या फिर जीवनशैली से जुड़े ऐप्स शामिल हैं. जैसे कि पेडोमीटर, फिटनेस प्रोग्राम या दूसरे ऐप. मेडिकल से जुड़ी बातों का विश्लेषण करने वाले ऐप्स से ज्यादा नुकसान नहीं है. इसके अलावा मरीज की डायरी में उसकी बीमारी और उपचार का ब्यौरा दर्ज किया जा सकता है. ये दवा लेने का समय होने पर याद दिलाने में भी कारगर हो सकते हैं. यही हाल सेहत से जुड़े ऐप्स का भी है जो आपको स्वस्थ रहने में मददगार साबित हो सकते हैं.

Symbolbild Studenten mit Smartphone
तस्वीर: Fotolia/WavebreakMediaMicro

यूरोपीय संघ में ऐप्स को बाजार में उतारने से पहले सरकार की सहमति लेनी होती है, जो सुरक्षा, सेहत और पर्यावरण की रक्षा से जुड़े मानकों के आधार पर इसका परीक्षण कर इन्हें बेचने की मंजूरी देती है. अल्ब्रेष्ट का सुझाव है कि जो फिटनेस ऐप्स मौजूद हैं, उनके निर्देश पेज पर जा कर सरकार की मंजूरी देखी जा सकती है और इसके बाद ही इन्हें इस्तेमाल करना ठीक होगा. जर्मनी के तकनीकी उद्योग संघ बिटकॉम के मुताबिक 2011 में 1500 हेल्थ केयर ऐप्स बाजार में मौजूद थे.

एनआर/एमजे(डीपीए)

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