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स्वास्थ्य पर्यटन-भारत जर्मनी के रिश्तों का नया आयाम

मेधा१६ मई २००८

सैर सपाटे के साथ इलाज। किफ़ायती और जल्द इलाज के लिए भारत बन रहा है नया आकर्षण। भारत में बदलते पर्यटन के मायने। इस बहाने कितने मज़बूत हो रहे हैं भारत और जर्मनी के रिश्ते?

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स्वास्थ्य पर्यटन का स्वर्गतस्वीर: DW/Alexander Göbe

स्वास्थ्य पर्यटन का मतलब है दूसरी जगह जाकर इलाज कराना और साथ में छुट्टी का मज़ा लेना। दुनिया भर के कई देशों में आज यह कई अरब डॉलर का उद्योग बन गया है। इसके लिए लोकप्रिय जगहों में भारत का नाम बहुत आगे है। वजह है भारत में अच्छा इलाज, विश्व स्तरीय अस्पताल और बेहतरीन डॉक्टर। अगर हवाई किराया और घूमने फिरने का ख़र्च जोड़ दिया जाए, तो भी वहां इलाज बहुत सस्ता पड़ता है।

पारंपरिक भारतीय मेडिसिन की पूछ

वैसे किफ़ायती होने के साथ साथ पारंपरिक भारतीय मेडिसिन यानी योग और आयुर्वेद भी भारत को लोकप्रिय बनाता है। कई रोग हैं, जिनका मेडिकल साइंस में कोई इलाज नहीं। ऐसे में मरीज़ भारत के पारंपरिक इलाज का सहारा लेता है। आयुर्वेद और योग से इलाज किया जाता है। जर्मनी के म्यूनिख शहर में आत्म संतुलन नाम की आयुर्वेद संस्था में काम कर रहे संजय तांबे बताते हैं कि एक महिला को यहां मल्टिप्ल स्क्लेरोसिस हो गया था। यहां के डॉक्टरों ने कीमोथेरापी की सलाह दी लेकिन ठीक होने की गैरेन्टी नहीं। फिर उन्होने भारत जाकर आयुर्वेदिक इलाज करवाया, और अब वो पूरी तरहं ठीक हैं।

जर्मनी से कई लोग आयुर्वेद, प्राकृतिक इलाज, होमियोपैथी और योग के लिए भारत जाते हैं। तीन बार आयुर्वेदिक इलाज के लिए भारत जा चुकीं हायिका क्लैम्प बताती हैं कि उन्होने इसके बारे में सुना था और फिर खुद परखना चाहती थीं। वे बताती हैं कि इलाज के बाद उनकी पाचन शक्ति बेहतर हो गई, साइनस की समस्या भी ठीक हो गई, और त्वचा में भी चमक आ गई। और सबसे बड़ी बात है कि इससे उन्हे अच्छा महसूस हो रहा है।

क्लैम्प खुद भी जर्मनी में योग सिखाती हैं। वो बताती हैं कि आयुर्वेद और दूसरे पारंपरिक भारतीय इलाज के तरीक़ों में यूरोपीयों की बहुत दिलचस्पी है। वो इसके बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं।

सस्ते और बेहतरीन मेडिकल इलाज भी आकर्षण

वैसे वैकल्पिक इलाज के अलावा सस्ता और बेहतरीन मेडिकल इलाज के लिए भी कई लोग भारत पहुंच रहे हैं। हिप रिप्लेसमेंट, घुटनों का ऑपरेशन, हार्ट सर्जरी जैसे मामलों का भारत में ख़ूब इलाज किया जा रहा है।

अस्पताल भी विदेशी मरीज़ों को बाक़ायदा पैकेज डील दे रहे हैं। हवाई यात्रा, एयरपोर्ट से अस्पताल लाने का ज़िम्मा, रिश्तेदारों के लिए होटेल और इलाज या ऑपरेशन के बाद आरामदेह छुट्टी की व्यवस्था। यक़ीन मानिए। इतना सब कुछ, यूरोपीय देशों के मुक़ाबले सिर्फ़ दस फ़ीसदी ख़र्च पर मुमकिन है और इसके लिए ज़्यादा इंतज़ार भी नहीं करना पड़ता है।

भारत के पर्यटन को इससे लाभ

भारत के पर्यटन को इससे बड़ा फ़ायदा पहुंच रहा है। साल दो हज़ार पांच में क़रीब पांच लाख विदेशी इलाज कराने भारत पहुंचे और तब से इसमें हर साल लगभग तीस फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक़ साल दो हज़ार बारह तक भारत मेडिकल टूरिज़म की बदौलत दो से तीन अरब डॉलर कमा सकता है। यानी लगभग सौ अरब रुपये।

भारतीय पर्यटन विभाग इसे बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। इलाज के लिए आने वाले लोगों को मेडिकल वीज़ा दिया जा रहा है। भारत में ज़्यादातर मरीज़ खाड़ी देशों, ब्रिटेन और अमेरिका से आ रहे हैं। जर्मन मरीज़ों की संख्या फ़िलहाल थोड़ी कम है लेकिन यहां संभावनाएं बहुत हैं।

जर्मनों को भी लुभाने की कोशिश

जर्मनी जैसे देशों में इलाज कराना बहुत महंगा है। इसके लिए हेल्थ इंश्योरेन्स ज़रूरी है, जो काफ़ी महंगा है और इलाज के बाद ऑपरेशन के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। एक सर्वे के मुताबिक़ जर्मनी के बीस प्रतिशत लोगों को डॉक्टरों से दिखाने के बाद ऑपरेशन के लिए तीन महीने का इंतज़ार करना पड़ता है।

भारतीय पर्यटन विभाग इन चीज़ों को अपने फ़ायदे में इस्तेमाल की कोशिश कर रहा है। मार्च में बर्लिन में हुए अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मेले में भी इसका ख़ूब ज़िक्र हुआ। लोगों को भारतीय डॉक्टरों की क़ाबिलियत और बेहतरीन सुविधाओं की जानकारी दी गई। जर्मनी में होने वाले दूसरे पर्यटन मेलों में भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। और मेडिकल ट्रीटमेंट को पारम्परिक भारतीय तरीक़ों से जोड़ने की बात चल रही है।