स्विस बैंकों में जमा धन की जानकारी मिलेगी
२० जनवरी २०११एंटनी ने कहा, "हमारी सरकार वह सारा पैसा वापस लाने के लिए वचनबद्ध है. हम सच जानना चाहते हैं और इसलिए कोशिशें जारी हैं. हम कोई भी बात नहीं छिपाएंगे." एंटनी उन रिपोर्टों की ओर संकेत कर रहे थे जिनके मुताबिक सुरक्षा संबंधी समझौतों के सिलसिले में दलाली में मिले धन को स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखा गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपनी बात सामने रख दी है. बुधवार को प्रधानमंत्री ने कहा था कि काले धन को वापस लाने के लिए कोई आसान तरीका नहीं है और सरकारी जानकारी को सबके सामने जाहिर नहीं किया जा सकता क्योंकि इस तरह की जानकारी हासिल करने के लिए कई औपचारिक समझौते किए गए हैं.
इससे पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि सरकार स्विट्जरलैंड में छिपे पैसों के सिलसिले में जानकारी छिपा रही है. अदालत के मुताबिक देश से इस काले धन को चुराया गया है और यह केवल कर चोरी नहीं बल्कि बहुत बड़े स्तर का अपराध है. सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में अपनी राय तब दी जब वकील राम जेठमलानी ने एक अर्जी पेश की. अर्जी में अदालत से मांग की गई है कि वह सरकार को विदेश में छिपाए गए पैसे को वापस भारत लाने के आदेश दे. माना जा रहा है कि स्विट्जरलैंड और लीष्टेनश्टाइन के बैंकों में भारतीयों का एक खरब से ज्यादा रुपया रखा गया है.
केंद्रीय सरकार का कहना है कि यह पैसे कर चोरी के हैं और वह इन बैंकों में खाता रख रहे भारतीय नागरिकों के नाम नहीं बता सकते. लेकिन इसके बाद ही गुरुवार को रक्षा मंत्री ने इस सिलसिले में सारी जानकारी देने का वादा किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादनः महेश झा