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हवाई अड्डे के पास जान को खतरा

१२ अक्टूबर २०१३

जर्मनी में एक शोध के अनुसार हवाई अड्डों के पास रहने वाले युवाओं की जान को खतरा है. आखिर ऐसा क्यों है कि यह खतरा बूढ़े लोगों की बजाए जवानों को है?

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

शोर शराबे के कारण हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं. खतरा इतना भर नहीं है जिसे नजरंदाज किया जा सके. हाल में जर्मनी की ब्रेमन यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि हवाई अड्डों के पास रहने वाले लोगों में बूढ़ों से ज्यादा स्वास्थ संबंधी समस्याओं का खतरा युवाओं को है.

इस शोध में पाया गया कि हवाई जहाजों की आवाज से रक्तचाप बढ़ने की समस्या युवाओं और बच्चों में बढ़ रही है. उन्हें उच्च रक्त चाप से निपटने वाली दवाओं की जरूरत पड़ती है. डॉयचे वेले ने इस रिपोर्ट के लेखक प्रोफेसर एबरहार्ड ग्राइजर से जाना इस बारे में विस्तार से...

डीडबल्यू: ऐसे मामले सामने नहीं आए हैं जिनमें किसी की इस तरह के शोर से मौत हुई हो, तो फिर क्या तात्पर्य है इस रिपोर्ट का?

डॉक्टर ग्राइजर: नहीं लोग मर नहीं रहे हैं. लेकिन हमारी रिसर्च बताती है कि इससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. खासकर जहाज की रात में आवाज से. ध्वनि तनाव पैदा करने वाले कारणों में से एक है. और तनाव शरीर में कई हॉर्मोन का स्तर बढ़ा देता है. इससे खासकर कॉर्टिसोल रक्तचाप बढ़ाता है. अगर आप इस तरह के तनाव का सामना लंबे समय तक करते हैं तो आप उच्च रक्तचाप के मरीज हो सकते हैं. और इससे हृदय रोग, दिल का दौरा या फिर भूलने की बीमारी भी होना संभव है.

Professor Doktor Erberhard Greiser
प्रोफेसर डॉक्टर एर्बरहार्ड ग्राइजरतस्वीर: Privat

डीडबल्यू: ज्यादा खतरा किस आयु वर्ग को है?

डॉक्टर ग्राइजर: इसकी शुरुआत 40 की उम्र से होती है और यह उम्र के साथ बढ़ता है. लेकिन हमने यह भी पाया कि ज्यादा उम्र बढ़ने के साथ यह खतरा कम होने लगता है. पहले तो हमें इस बात पर हैरानी हुई लेकिन फिर हमने पाया कि बढ़ती उम्र के साथ लोगों की सुनने की क्षमता भी कम होती जाती है. और अगर आपको वह शोर रात या दिन में उतना सुनाई ही नहीं दे रहा है तो उससे आपको फर्क भी नहीं पड़ेगा.

डीडबल्यू: हवाई अड्डे के कितना करीब रहना खतरनाक हो सकता है?

डॉक्टर ग्राइजर: ध्वनि का स्तर अगर 40 डेसीबेल हो, और वह भी एक दिन और एक रात के लिए है तो यह बहुत कम है. लेकिन हमने अपने शोध में जिस इलाके में रिसर्च की उसमें करीब दस लाख लोग रहते थे जिनमें से पचास हजार को हृदय संबंधी दिक्कतें आईं. यानि बहुत छोटे से इलाके में ही हमने ज्यादा काफी लोग बीमार मिले.

डीडबल्यू: लेकिन हवाई अड्डे के आसपास दूसरा औद्योगिक शोर शराबा भी तो हो सकता है, आपने सिर्फ हवाई अड्डे के कारण होने वाले शोर को कैसे अलग किया?

डॉक्टर ग्राइजर: बिल्कुल, जब आप ऐसा शोध करते हैं तो आपको सभी बातें ध्यान में रखनी होती हैं. हमने इसमें सड़कों और रेलगाड़ियों वगैरह का शोर भी शामिल किया. और मरीजों के आंकड़े भी हमने अस्पतालों के अलावा स्वतंत्र डॉक्टरों से जमा किए. इसमें हमने उच्च रक्तचाप के अलावा लिपिड के स्तर को नियंत्रित करने वाली और डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को भी शामिल किया. इस तरह की कई और रिसर्च ब्रिटेन, स्कैंडेनेवियाई देशों के अलावा दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी की गई हैं.

डीडबल्यू: इस समस्या का संबंध सिर्फ शोर के डेसिबेल स्तर से है या खासकर हवाई जहाजों के शोर से हैं?

डॉक्टर ग्राइजर: जैसे जैसे कोई हवाई जहाज आपके घर के करीब आता है उसका शोर बढ़ने लगता है. जाहिर है उससे शरीर में एक प्रबल प्रतिक्रिया होती है. एक और शोध में पाया गया कि सड़क पर होने वाले शोर का असर हवाई शोर के मुकाबले एक तिहाई होता है. यानि सड़क के शोर के मुकाबले हवाई शोर से हृदय रोगों का खतरा ज्यादा है.

इंटरव्यूः कोनोर डिल्लन/एसएफ

संपादनः आभा मोंढे

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