हादसे से उबरता हनोवर
१७ अगस्त २०१०जर्मन राष्ट्रीय टीम के गोलकीपर रोबर्ट एंके हनोवर 96 के खिलाड़ी थे. वे डिप्रेशन के शिकार थे और नवंबर 2009 में उन्होंने रेलगाड़ी के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. सारा फ़ुटबॉल जगत स्तब्ध रह गया. जर्मन फ़ुटबॉल संघ के अध्यक्ष थियो स्वांसिगर ने कहा कि फ़ुटबॉल सब कुछ नहीं है, उसे सब कुछ होना भी नहीं चाहिए.
और हनोवर 96 के खेलों पर इसका असर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. पिछले सीज़न के पहले 12 खेलों में एंके के साथ उसे 16 अंक मिले, उसके बाद के 12 खेलों में सिर्फ़ एक अंक, और आखिरी दस खेलों में फिर 16 अंक. आखिरी दिन बोखुम के खिलाफ़ 3-0 से जीत के बल पर उसे तालिका में 15वां स्थान मिल सका, और दूसरी लीग में नहीं उतरना पड़ा.
13 साल तक बुंडेसलीगा से बाहर रहने के बाद 2002-03 में हनोवर पहली पांत में लौटा. और तबसे वह बुंडेसलीगा में बना है. इस दौरान उसे तालिका में 8वें से 14वें तक का स्थान मिलता रहा है. वैसे तो टीम में मशहूर खिलाड़ी कम रहे हैं, लेकिन अपने गिरते स्तर के बाद बोबिच जैसे खिलाड़ी हनोवर में अपने प्रदर्शन के बल पर फिर से राष्ट्रीय टीम में जगह बना सके. अपने स्तर पर खेल बनाए रखने में हनोवर को सफलता मिलती रही है, और ख़ासकर पिछले साल एंके के हादसे के बाद टूट चुके खिलाड़ी जिस तरीके से फिर से उठकर खड़े हुए, उसकी जितनी दाद दी जाए कम होगी.
इस बार भी टीम में कोई नामी-गरामी खिलाड़ी नहीं लाए गए हैं. टीम के कोच हैं कभी शाल्के 04 के कोच रह चुके मिरको स्लोमका, जिनके निर्देशन में पिछले सत्र में बुंडेसलीगा से बाहर होने के खतरे को टाला जा सका था.
लेखः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए जमाल