हेपेटाइटिस सी की खोज करने वालों को नोबेल पुरस्कार
५ अक्टूबर २०२०इन वैज्ञानिकों की खोज के कारण इतिहास में पहली हेपेटाइटिस सी का इलाज संभव हो सका है. इन वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस सी के मौजूदा मरीजो के लिए खून की जांच और नई दवाओं को संभव बनाया. इसकी वजह से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी. इससे पहले लाखों लोग बीमारी का पता चले बगैर ही इसके शिकार हो कर अपनी जान गंवा बैठे.
हार्वे आल्टर और चार्ल्स राइस अमेरिकी हैं जबकि माइल ह्यूफ्टन ब्रिटेन के. साल 2020 के लिए चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार के एलान के साथ ही नोबेल पुरस्कारों की घोषणा का सप्ताह शुरू हो गया है. स्टॉकहोम की कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट ने पुरस्कार विजेता के नाम की घोषणा की. इस साल मेडिसिन के पुरस्कार को कोरोना की महामारी के कारण विशेष महत्व दिया गया. इससे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए पूरी दुनिया में मेडिकल रिसर्च की अहमियत का पता भी चलता है. हालांकि यह भी लगभग तय था कि इस साल का विजेता कोरोना के इलाज या फिर रोकथाम की दिशा में काम करने वाला ही हो. आमतौर पर कई सालों बल्कि कई बार तो दशकों की मेहनत के बाद मिली कामयाबी लोगों को इस पुरस्कार का विजेता बनाती है.
अकसर नोबेल एसेंबली बुनियादी विज्ञान की ऐसी खोजों को महत्व देती है जो हम रोजमर्रा के काम में इस्तेमाल करते हैं. इसके साथ ही एक क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों के बीच इस पुरस्कार का बांटा जाना भी आम हो चला है. पिछले साल ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर रेटक्लिफ और अमेरिकी वैज्ञानिक विलियम काएलिन और ग्रेग सेमेंजा को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. इन लोगों ने इस बात की खोज की थी कि शरीर के कोशिकाएं कैसे ऑक्सीजन के कम स्तर को जान कर उस पर प्रतिक्रिया देती हैं.
नोबेल पुरस्कार में विजेता को एक सोने के मेडल और 1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर यानी करीब 11 लाख 18 हजार अमेरिकी डॉलर की रकम दी जाती है. स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी संपत्ति से इन पुरस्कारों को देने की वसीयत की थी. चिकित्सा के अलावा नोबेल पुरस्कार भौतिकी, रसायन, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के लिए दिए जाते हैं.
1901 से 2019 के बीच चिकित्सा के क्षेत्र में कुल 110 नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं और इसके कुल 219 लोग विजेता हैं. अब तक 12 महीलाओं को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला है. 39 बार यह पुरस्कार सिर्फ एक विजेता को मिला. 33 बार दो और 38 बार तीन विजेताओं के बीच यह पुरस्कार साझा किया गया. अगर यह पुरस्कार दो अलग अलग कामों के लिए दिया जाता है तो पुरस्कार की राशि उन दोनों कामों में बराबर बांटी जाती है. एक ही काम के लिए एक से ज्यादा लोगों को पुरस्कार दिए जाने पर पुरस्कार की राशि विजेताओं में बराबर बांटी जाती है. कभी भी तीन से ज्यादा लोगों को एक साल में एक क्षेत्र में पुरस्कार नहीं दिया जाता.
चिकित्सा में सबसे युवा विजेता फ्रेडरिक जी बैंटिंग हैं जिन्हें 1923 में इंसुलिन की खोज कि लिए नोबेल पुरस्कार मिला था. उस वक्त उनकी उम्र महज 32 साल थी. 1966 में पेटोन रूस को 87 साल की उम्र में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला और वे सबसे उम्रदराज विजेता हैं. पेटोन रूस ने ट्यूमर को प्रेरित करने वाले वायरस की खोज की थी.
एनआर/आईबी (एपी)
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