हॉन्ग कॉन्ग में माइक्रो फ्लैटों की मांग
१२ अगस्त २०१४हॉन्ग कॉन्ग के गरीब तबके के लोगों के लिए घर एक सपना होता है, ठीक किसी भी दूसरे देश के गरीबों की तरह. अब डेवलपर उनके इस सपने को पूरा करने की कोशिश में हैं. इससे उनका बिजनेस भी चल रहा है. बस, घर जरा छोटे हैं. एक रूम के घर का साइज सिर्फ 16 वर्गमीटर (175 वर्गफीट) के आस पास है. इनकी कीमत 15 लाख हॉन्ग कॉन्ग डॉलर (करीब सवा लाख रुपये) है.
इन माइक्रो फ्लैटों के विक्रेता माइक को जैसे अकेले शख्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं. को का कहना है, "मैं 33 साल का हो चुका हूं और मुझे सच में अब अपना घर चाहिए. एक कमरे का घर भी ठीक है. वे आजकल फैशन में हैं." को फिलहाल अपने मां बाप के साथ सरकारी घर में रहते हैं और अपने घर के लिए पैसे बचा रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि घरों की कीमत इतनी ज्यादा है कि वह नया घर खरीदने में सक्षम नहीं हैं, "बाजार बहुत महंगा है. इसलिए बेहतर है कि मैं पहले एक छोटा घर खरीदूं."
एजेंटों का मानना है कि एक कमरे के मकान की मांग भी लगातार बढ़ेगी. मोन्टॉफैर्ट इलाके में एक एजेंट का कहना है, "आपको घर अभी खरीदना चाहिए क्योंकि कीमतें तेजी से बढ़ने वाली हैं. अभी आप समझिए कि बचत कर रहे हैं." मोन्टॉफैर्ट इलाके में जो कॉम्प्लेक्स बन रहे हैं, उनके आस पास हरियाली है. लेकिन घरों का आकार बहुत छोटा है. सिर्फ 16 वर्गमीटर, यानि हॉन्ग कॉन्ग की सबसे छोटी जेल के कमरे से तीन गुना बड़ा. हालांकि बाथरूम और किचन एक कोने में है. लिहाजा बेडरूम का आकार थोड़ा बड़ा हो जाता है.
एजेंटों ने बताया कि इस जगह पर 1000 अपार्टमेंट हैं, जिनके 10 फीसदी ऐसे छोटे घर हैं. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इनमें से कितने बिक पाए हैं. इस जगह पर निर्माण का काम चल रहा है. खरीदारों की भीड़ जुट रही है, जबकि वहां कोई मॉडल फ्लैट भी नहीं बना है और ना ही बताया जा रहा है कि यह अंदर से कैसा होगा.
पर हॉन्ग कॉन्ग में कुछ लोग घरों की खराब हालत का विरोध भी करते हैं और सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसे ही एक संगठन 'नो फ्लैट स्लेव्स' के प्रवक्ता केनेथ टॉन्ग का कहना है, "वे सिर्फ छोटे नहीं हैं, बल्कि बेहद खराब हैं. आप उस जगह पर रहने के लिए इतने पैसे दे रहे हैं. यह शर्मनाक है. पर क्या करें, लोगों के पास और कोई विकल्प भी नहीं."
हॉन्ग कॉन्ग की लेबर पार्टी के उपाध्यक्ष फर्नांडो चेउंग का कहना है कि यहां घरों की शिद्दत से जरूरत है, "इसका नतीजा यह है कि इस तरह के छोटे घर बन रहे हैं, जो अमानवीय हैं. इस तरह के घरों का इस्तेमाल तो शरणार्थियों या भूकंप पीड़ितों के लिए होना चाहिए."
हॉन्ग कॉन्ग के बड़े घरों पर चीन के धनवान उद्योगपतियों का कब्जा है, जबकि छोटा घर बेचने वाले युवा पेशेवर, यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों और नए शादीशुदा जोड़ों पर ध्यान लगा रहे हैं. इस शहर में 2009 के मुकाबले घरों की कीमतें दोगुनी हो गई हैं.
अब इन छोटे घरों से लोगों की मांग पूरी करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि इतने पैसे भी सबके बस की बात नहीं है. पास के एक टापू में ला रिवयेरा टावर प्रोजेक्ट शुरू हुआ है. यहां 300 वर्गफीट से भी कम क्षेत्रफल के घर 50 लाख हॉन्ग कॉन्ग डॉलर में बिक रहे हैं. पर डेवलेपरों का कहना है कि उन्हें नए खरीदार मिलने की उम्मीद है. टावर के निजी डेवलपर हिप शिंग हॉन्ग के प्रबंध निदेशक डेविड फॉन्ग कहते हैं, "कई छात्रों ने विदेशों में पढ़ाई की है और वे इस तरह के घरों में रहना पसंद करते हैं. लंदन और न्यूयॉर्क में भी इस आकार के पुराने घर होते हैं. हमारे घर छोटे हैं लेकिन खूबसूरत भी."
एजेए/एएम (एएफपी)