हौसले को सलाम के साथ इन्विक्टस गेम्स शुरू
९ मई २०१६
युद्ध में अपने अंग खो चुके सैनिकों के इन्विक्टस गेम्स रविवार शाम को अमेरिका के फ्लोरिडा में शुरू हो गए. ब्रिटेन के प्रिंस हैरी ने इन खेलों की स्थापना की थी. रविवार को इसके उद्घाटन के मौके पर उनके साथ अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और मशहूर ऐक्टर मॉर्गन फ्रीमन भी मौजूद रहे. इस मौके पर जेम्स ब्लंट और लॉरा राइट ने परफॉर्म किया.
इन खेलों में इस साल 14 देशों के 500 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. यहां 10 प्रतिस्पर्धाएं होंगी जिनमें व्हील चेयर रग्बी, तीरंदाजी और पावरलिफ्टिंग शामिल हैं. अपंग हो चुके पूर्व सैनिकों के लिए होने वाला यह अपनी तरह का एकमात्र आयोजन है. प्रिंस हैरी ने इस मौके पर कहा, ''आप मेरी बात लिख लीजिए. आपको मजा आएगा. आप जजबाती हो जाएंगे. और प्रेरित भी होंगे.'' इन्विक्टस गेम्स गुरुवार, 12 मई तक चलेंगे.
प्रिंस हैरी ने कहा कि वह सैनिकों के बीच घर जैसा महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मैं आपको बता नहीं सकता कि अमेरिका में आज इन खेलों की शुरुआत पर मुझे कितना फख्र हो रहा है. लंदन से बहुत दूर हूं लेकिन मेरे सामने इतने सारे जाने-पहचाने चेहरे हैं कि मुझे घर जैसा लग रहा है.'' यह दूसरे इन्विक्टस गेम्स हैं.
इन खेलों में अमेरिका और ब्रिटेन के खिलाड़ियों के बीच अच्छी-खासी प्रतिस्पर्धा होती है. ट्विटर पर इसे लेकर काफी मजेदार बातें होती रही हैं. इस प्रतिस्पर्धा पर मिशेल ओबामा ने चुटकी भी ली. उन्होंने कहा,''मैंने अमेरिकी टीमों से कह दिया है कि बहुत ज्यादा न जीतें. इतना तो हम कर ही सकते हैं, हैं ना?''
सबसे आखिर में बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने खिलाड़ियों से कहा कि आपसे मिलकर हमेशा प्रेरणा मिलती है. उन्होंने कहा, ''पिछले पांच साल में मुझे आप में से काफी लोगों से मिलने का मौका मिला है. आपसे जो प्रेरणा मिलती है वह अविश्वसनीय है. मैं आपके हौसले, देश के लिए आपके प्यार और हर उस बलिदान से प्रेरित होती हूं जो आप रोजाना करते हैं.''
मिशेल ओबामा ने प्रिंस हैरी की भी तारीफ की, जिन्होंने इन खेलों की स्थापना की थी. उन्होंने कहा, ''मैं सबसे पहले तो प्रिंस हैरी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जो इन्विक्टस गेम्स को यहां ऑरलैंडो में लेकर आए. उन्हें अपने इस काम पर गर्व होना चाहिए.''
इन खेलों का मकसद घायल और अपंग सैनिकों की मदद करना है. इनकी शुरुआत 2015 में लंदन से हुई थी.