अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में कहां है भारत
१८ अक्टूबर २०२२रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी इन आंकड़ों में दावा किया गया है कि भारत ने 2020-21 में एक साल पहले की तुलना में 55 फीसदी ज्यादा हथियारों का निर्यात किया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 70 फीसदी निर्यात निजी क्षेत्र से हुआ है जबकि 30 फीसदी सरकारी कंपनियों के हिस्से आया.
इन आंकड़ों के साथ किन चीजों का निर्यात हुआ, इसका रक्षा मंत्रालय ने ब्यौरा नहीं दिया है. इसलिए कई जानकार इस पर सवाल उठा भी उठा रहे हैं. दिल्ली में वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी का कहना है कि यह साफ नहीं किया गया है कि भारत से किन चीजों का निर्यात हुआ. डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस साल ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 37.5 करोड़ डॉलर की कीमत के निर्यात का एक करार हुआ है लेकिन करार होने और निर्यात होने में फर्क है. इसके पहले भी कुछ करार हुए हैं लेकिन उन करारों में से कितनों पर अमल हुआ, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है."
सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस
रूस और भारत के संयुक्त उपक्रम में बनने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए भारत को 2025 तक 5 अरब डॉलर के ऑर्डर मिलने की उम्मीद जताई गई है. फिलीपींस के साथ इस साल 37.5 करोड़ डॉलर के पहले ऑर्डर पर दस्तखत भी हुए हैं. भारत और रूस के सहयोग से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने वाली कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम के साथ नए ऑर्डर के लिए बातचीत कर रही है. कंपनी के चेयरमैन अतुल डी राणे ने यह जानकारी दी. राणे का कहना है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक 5 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य दिया है. मुझे उम्मीद है कि ब्रह्मोस 2025 तक 5 अरब डॉल के निर्यात के लक्ष्य को पूरा कर लेगा."
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ब्रह्मोस एयरोस्पेस में भारत की 50.5 फीसदी और रूस की 49.5 फीसदी हिस्सेदारी है. यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम में बिल्कुल फिट बैठता है. भारत ने रूस के सहयोग से मिग लड़ाकू विमान और सुखोई जेट विमान लाइसेंस के तहत बनाए हैं और दोनों देश मिल कर ब्रह्मोस का निर्माण कर रहे हैं. पिछले दिनों भारतीय वायु सेना के कुछ अधिकारियों की गलती से एक ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान की तरफ दाग दिया गया था. संयोग से इस पर हथियार नहीं लदे थे नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था. इसके लिए जिम्मेदार अधिकारों को बर्खास्त किया जा चुका है. रूस पारंपरिक रूप से भारत का हथियारों के मामले में बड़ा सहयोगी रहा है.
भारत से हथियारों का निर्यात
भारत से जिन हथियारों और सैनिक साजो सामान के निर्यात की बात होती है उनमें लड़ाकू विमान तेजस, ध्रुव हैलीकॉप्टर, ब्रह्मोस मिसाईल और सुखोई विमान शामिल हैं. बेदी बताते हैं कि ये सारे विमान और हथियार भारत ने विदेशों की मदद और आयात किये हुए सामान से ही बनाये हैं. बेदी का कहना है, "विमान हो या हैलीकॉप्टर सबके लिए ईंजन की जरूरत होती है इसी तरह और भी दूसरी कई जरूरी चीजें हैं और उनके विकास में अभी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है. हां उनके विकास की दिशा में प्रयास जरूर चल रहे हैं. जहां तक निर्माण की बात है तो ज्यादातर चीजों की भारत में असेंबल ही किया जा रहा है."
रूस के सहयोग से भारत में कलाश्निकोव सीरीज की एके203 राइफल भी बनाई जा रही है और हाल ही में कार्ल गुस्ताफ राइफल बनाने के लिएस्वीडन की साब कंपनी से भी करार हुआ है.भारत ने इन हथियारों की खरीदारी का एक बड़ा ऑर्डर दिया है और इसमें यह शर्त भी है कि हथियारों को बनाने का कुछ काम भारत में भी होगा. भारत में कार्ल गुस्ताफ के कुछ पुर्जे बनाये जाने की भी बात है और यहां दूसरे देशों को इसके निर्यात की भी चर्चा हो रही है. इन्हीं से जुड़े आंकड़ों को जोड़ कर भारत से हथियारों के निर्यात की संभावित तस्वीर बनती है.
हथियारों का बड़ा खरीदार है भारत
भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. बीते कई सालों से वह इस मामले में शीर्ष नंबर पर है. 2022 के लिए भी भारत ने एक बड़ी रकम हथियारों की खरीदारी के लिए सोच रखी है. रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से अब वह कई और यूरोपीय देशों से हथियारों की खरीदारी के लिए बात कर रहा है.
दुनिया भर में हथियारों के कारोबार नजर रखने वाली एजेंसी सीपरी (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) के मुताबिक 2018 से 2021 के बीच भारत ने 12.4 अरब डॉलर के हथियारों की खरीदारी की. इसमें सबसे ज्यादा 5.51 अरब डॉलर के हथियार रूस से खरीदे गये.
रिपोर्टः निखिल रंजन (रॉयटर्स)