अमेरिका ने किया रूस पर नए प्रतिबंधों का एलान
६ अप्रैल २०२२अमेरिका ने बुधवार को रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों का एलान किया है जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो बेटियों और बैंकों को निशाना बनाया गया है. रूस के दो बड़ी बैंकों स्परबैंक और अल्फा बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके बाद इन बैंकों तक अमेरिका से हो कर कोई धन नहीं पहुंच पाएगा. इसके साथ ही कोई अमेरिकी इन दोनों बैंकों के साथ कारोबार नहीं कर सकेगा.
रूसी राष्ट्रपति की बेटियों मारिया पुतिना और कातेरीना तिखोनोवा के साथ ही अमेरिका ने प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन, रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव के बीवी बच्चे और रूसी सुरक्षा परिषद के सदस्यों पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है. इनमें पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदव भी शामिल हैं.
इन प्रतिबंधों के बाद पुतिन के परिवार के सभी सदस्यों की अमेरिका में मौजूद संपत्तियां जब्त हो जाएंगी और उनके अमेरिकी फाइनेंशियल सिस्टम में किसी तरह के लेनदेन या कारोबार पर रोक लग जाएगी. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्वीट किया है, "मैंने साफ कर दिया था कि बूचा में उसके अत्याचारों की कीमत रूस को तुरंत चुकानी होगी."
व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिकी वित्त विभाग रूस की और कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंधों की तैयारी कर रहा है.
यूरोपीय संघ भी नए प्रतिबंधों की तैयारी में
ब्रिटेन और यूरोपीय संघ भी रूस पर नए प्रतिबंधों की तैयारी में हैं जिनका एलान कभी भी हो सकता है.
यूरोपीय संघ और जी 7 के देशों के साथ सहयोग करते हुए अमेरिका जल्दी ही रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों का एलान कर सकता है. इसमें रूस से ऊर्जा के आयात और नए निवेश को रोकने जैसे प्रतिबंध हो सकते हैं. यूरोपीय संघ भी कोयले के निर्यात पर प्रतिबंध का एलान कर सकता है. अगर घोषणा हुई तो यूरोपीय संघ की ओर से पहली बार रूस पर ऊर्जा के आयात से जुड़े प्रतिबंध लगेंगे. यूरोप हर साल रूस से चार अरब यूरो से ज्यादा का कोयला आयात करता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को 10 करोड़ डॉलर के जावेलीन एंटी आर्मर मिसाइल सौंपने की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही यूक्रेन को पिछले साल बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद अब तक मिली सैन्य सहायता 2.4 अरब डॉलर तक पहुंच गई है. व्हाइट हाउस ने मंगलवार शाम को बताया कि बाइडेन ने सहायता को मंजूरी दे दी है. यूक्रेन की सहायता के लिए अमेरिकी संसद ने पिछले महीने रूसी हमले के बाद कुल मिला कर 13.6 अरब डॉलर की सहायता का प्रस्ताव पास किया है. मिसाइलों की यह मदद भी इसी बजट का हिस्सा है. व्हाइट हाउस का कहना है कि यूक्रेन ने अमेरिका से इन मिसाइलों की मांग की थी.
तेज हुई बमबारी
रूसी घेराबंदी में फंसा मारियोपोल शायद यूक्रेन का अकेला शहर है जिस पर 24 फरवरी को हमला शुरू होने के बाद से ही लगातार बमबारी हो रही है. यहां एक लाख से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं और उन्हें ना तो ठीक से खाना मिल पा रहा है ना पानी और ना ही बिजली.
ब्रिटिश मिलिट्री इंटेलिजेंस का कहना है, "160,000 में से ज्यादा निवासियों के पास ना तो बिजली है, ना संचार, ना दवा, ना गर्मी ना पानी. रूसी सेनाओं ने मानवीय रास्तों को बंद कर दिया है और संभवतया उन पर समर्पण के लिए दबाव बना रहे हैं." मारियोपोल में फंसे लोगों की संख्या की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन इतना तय है कि एक बड़ी आबादी वहां अब भी फंसी हुई है.
बीते कई दिनों से मारियोपोल के लोगों की दुर्दशा की खबरें आ रही हैं हालांकि इस बीच कुछ लोग बाहर निकलने में भी कामयाब हुए हैं. एक यूक्रेनी अधिकारी ने बताया है कि रूसी सैनिकों ने मारियोपोल से 1,496 नागरिकों को निजी गाड़ियों से बाहर जाने दिया है. हालांकि मारियोपोल के लोगों को निकालने गईं बसों के काफिलों को अंदर घुसने नहीं दिया गया.
बुधवार को भी 11 मानवीय गलियारे बनाए जाने की बात कही गई है.
युद्ध अपराधों की जांच
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों बूचा और दूसरी जगहों पर रूसी सैनिकों के अपराधों की जांच में तकनीकी सहयोग देने के लिए तैयार हो गए हैं. जेलेंस्की ने मारियोपोल में फंसे लोगों को निकालने में भी मदद करने की मांग की है.
जेलेंस्की का कहना है कि रूसी सेनाएं पूर्व में अब भी यूक्रेन के भीतर घुसने की कोशिश कर रही हैं लेकिन यूक्रेनी सेनाओं ने उन्हें रोक रखा है. जेलेंस्की का कहना है कि रूसी सेनाएं अगले हमले के लिए सप्लाई जुटा रही हैं. उन्होंने कहा, "हमारे पास विकल्प नहीं है, हमारी जमीन और हमारे लोगों की किस्मत तय की जा रही है. हम जानते हैं कि हम किस लिए लड़ रहे हैं और हम जीतने के लिए सब कुछ करेंगे."
जेलेंस्की ने बूचा और दूसरे शहरों में आम लोगों पर हुए कथित अत्याचारों का जिक्र करते हुए पश्चिमी देशों से मांग की है कि वे और रूस पर ज्यादा कड़े प्रतिबंध लगाएं.
बूचा में आम लोगों की कथित हत्या के बाद यूरोपीय देशों से रूसी राजनयिकों के निष्कासन का दौर जारी है. बुधवार को हंगरी ने 12 राजनयिकों को बाहर भेजने का हुक्म सुनाया.
चीन ने बूचा से आम नागरिकों की कथित हत्या के बारे में आ रही खबरों को बहुत परेशान करने वाला बताया है और इसकी जांच कराने की मांग की है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि चीन उन सभी पहलों और उपायों का समर्थन करता है जो देश में मानवीय त्रासदी को दूर करने में सहायक हैं और उनका देश आम लोगों को नुकसान रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिल कर काम करने को तैयार है. भारत की संसद में भी विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर बयान दिया है. बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत आम लोगों पर अत्याचार के बारे में आ रही खबरों से "बहुत परेशान" है. जयशंकार ने कहा, "हम इन हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं जो वहा हुई हैं. यह एक बेहद गंभीर मामला है और हम इस की स्वतंत्र जांच का समर्थन करते हैं."
तेल डिपो पर हमला
रूसी सेना ने मंगलवार की रात यूक्रेन के दनिप्रोपेत्रोव्स्क इलाके में तेल डिपो और एक फैक्ट्री पर हमला किया. इस हमले में कितने लोग हताहत हुए हैं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है. बुधवार सुबह स्थानीय मेयर ने बताया कि चार जगहों पर हवाई हमले किए गए हैं. तेल डिपो तबाह हो गया है और राहतकर्मी आग बुझाने में जुटे हुए हैं.
पूर्व में लुहांस्क इलाके में रूबिझ्ने शहर पर हुई गोलीबारी में एक नागरिक की मौत हुई है और पांच लोग घायल हैं. रूसी सेना पूर्वी इलाके में हमले की तैयारियों में जुटी हुई है. यूक्रेनी सेना का कहा है कि वो दोनेत्स्क और लुहांस्क के इलाके में अपना पूरा नियंत्रण कर लेना चाहते हैं.
पश्चिमी यूक्रेन के एक क्षेत्रीय अधिकारी का कहना है कि रूसी मिसाइलों ने उर्वरकों के टैंक पर हमला किया है जिसके बाद वहां का भूजल प्रदूषित हो गया है. तेर्नोपिल के क्षेत्री गवर्नर ने मंगलवार कोबताया कि रूसी मिसाइलों ने ऊर्वरकों से भरे छह टैंक ध्वस्त कर दिए हैं. इसकी वजह से इक्वा नदी और भूजल में अमोनिया का रिसाव हो रहा है. अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से कुओं के पानी का इस्तेमाल नहीं करने और मछली का शिकार बंद करने को कहा है.
1.1 करोड़ लोग विस्थापित
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का आकलन है कि तकरीबन 1.1 करोड़ यूक्रेनी लोग रूसी हमले के बाद अपना घर छोड़ कर भागे हैं. तीन हफ्तों में पहली बार पूरा आकलन करके एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट मंगलवार को जारी की है. इसके मुताबिक तकरीबन एक अप्रैल तक करीब 71 लाख लोग यूक्रेन के भीतर ही विस्थापित हुए. इसके बाद करीब 40 लाख से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो यूक्रेन छोड़ कर दूसरे देशों में गए हैं. यूक्रेन से आए शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या पोलैंड में है. इसके अलावा यूरोप के तमाम देशों में इन लोगों का स्वागत किया जा रहा है. यहां तक कि गरीब और छोटे से देश मोल्दोवा में भी बड़ी संख्या में यूक्रेनी शरणार्थी रह रहे हैं.
एजेंसी का कहना है कि कम से कम यूक्रेन में 29 लाख लोग अभी ऐसे हैं जो युद्ध के कारण अपना घर छोड़ने पर विचार कर रहे हैं. युद्ध से पहले यूक्रेन की आबादी करीब 4.4 करोड़ थी.
रूस के साथ बातचीत
रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने यूक्रेन की सरकार पर युद्ध खत्म करने पर बातचीत को तहस नहस करने का आरोप लगाया है. रूसी विदेश मंत्री ने खासतौर से चेतावनी दी है कि उनका देश यूक्रेन की सेना को हटाने और उसके बाद करार में तय शर्तों को स्वीकार करने पर यूक्रेन में जनमतसंग्रह के प्रस्ताव को नहीं मानेगा. लावरोव ने कहा कि अगर शांति समझौते जनमत संग्रह में स्वीकृति हासिल नहीं कर पाता तो फिर एक नया समझौता करना होगा और रूस इस तरह "चूहे बिल्ली का खेल नहीं खेलना चाहता." लावरोव ने मिंस्क समझौते का उदाहरण दे कर कहा कि उस पर कभी अमल ही नहीं किया गया.
रूसी सैनिकों को शरण
यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि संघ के सदस्यों को यूक्रेन में हथियार डालने वाले रूसी सैनिकों को शरण का प्रस्ताव देने के बारे में सोचना चाहिए. यूरोपीय परिषद के प्रमुख चार्ल्स मिशेल ने यूक्रेन के बूचा और दूसरे शहरों में आम नागरिकों के मारे जाने पर गुस्सा जताया. उन्होंने रूसी सैनिकों से आदेश ना मानने को कहा.
मिशेल ने यूरोपीय संसद में कहा, "अगर आप अपने यूक्रेनी भाई बहनों की हत्या में शामिल नहीं होने चाहते तो, अगर आप अपराधी नहीं बनना चाहते तो अपने हथियार छोड़ दीजिए लड़ना बंद कर दीजिए, युद्धक्षेत्र से निकल जाइए." मिशेल यूरोपीय संघ की सरकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं. कुछ समय पहले कुछ और यूरोपीय सांसदों ने भी रूसी सैनिकों को शरण का प्रस्ताव देने की बात कही थी अब मिशेल ने भी इसकी चर्चा की है.
एनआर/आरपी (एपी, रॉयटर्स, एएफपी, डीपीए)