अमेरिका में भारतीय छात्र दहशत में
२६ जनवरी २०११अमेरिकी अधिकारियों ने इस यूनिवर्सिटी पर छापा मारा और इसे बंद कर दिया. यूनिवर्सिटी पर एक बड़े अप्रवासन फ्रॉड के आरोप लगे हैं. सैन फ्रांसिस्को के प्लेजनटोन में ट्राई वैली यूनिवर्सिटी में काफी भारतीय छात्र पढ़ते थे. इस यूनिवर्सिटी पर संघीय जांच अधिकारियों ने वीजा परमिट का गलत इस्तेमाल करने, हवाला के जरिए पैसा इधर से उधर भेजने और दूसरे कई अपराधों के आरोप लगाए हैं.
कैलिफॉर्निया की अदालत में दायर की गई एक शिकायत में कहा गया है कि पिछले हफ्ते जांच अधिकारियों ने यूनिवर्सिटी में छापे मारे और फिर उसे बंद कर दिया. शिकायत के मुताबिक इस यूनिवर्सिटी ने विदेशियों को गैर कानूनी तरीके से देश में आने में मदद की.
इस यूनिवर्सिटी में 1555 छात्रों के होने की बात कही गई है. शिकायत के मुताबिक इनमें से 95 फीसदी छात्र भारतीय हैं.
क्या है मामला
इमिग्रेशन एंड कस्टम एन्फोर्समेंट (आईसीई) की जांच में पता चला कि छात्रों को ऑनलाइन और अन्य कोर्सों में दाखिला दिया गया. कागजात में दिखाया गया कि वे छात्र कैलिफॉर्निया में रह रहे हैं लेकिन असल में वे लोग दूसरे शहरों में गैरकानूनी तरीके से काम कर रहे थे. यहां तक कि वे लोग मैरिलैंड, वर्जीनिया, पेनसिलवेनिया और टेक्सस तक भी पहुंच चुके थे.
आईसीई ने अपनी जांच में इस यूनिवर्सिटी को दिखावटी बताया है. जांच में पता चला कि आधे से ज्यादा छात्रों को एक ही पते पर रहते दिखाया गया. यह घर सनीवेल कैलिफॉर्निया में है.
हर छात्र को अपना इमिग्रेशन मान्य बनाए रखने के लिए इस बात का सबूत देना होता है कि वह लगातार क्लास में जा रहा है और अपना कोर्स आगे बढ़ा रहा है. यही दिखाने के लिए यूनिवर्सिटी ने छात्रों का पता कैलिफॉर्निया का दिया. लेकिन 600 से ज्यादा छात्रों को एक ही पता दे दिया गया.
छात्रों में दहशत
अब जांच अधिकारी हर छात्र की तलाश में लगे हैं. इन छात्रों ने अमेरिका का वीजा और काम करने का परमिट हासिल करने के लिए लाखों रुपये खर्च किए हैं. इनमें से कई छात्रों से पूछताछ हो चुकी है. लेकिन भारतीय छात्रों के बीच इस वक्त दहशत का माहौल है.
इसका असर भारत में भी हुआ है. वहां से कई छात्र यूनिवर्सिटी आने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन अब उन्होंने अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं. कुछ छात्र छुट्टी पर गए हुए थे और 10 जनवरी से उनका नया सत्र शुरू होना था. लेकिन इस खबर के बाद वे भी अमेरिका नहीं पहुंचे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन