ईरान के खिलाफ ईयू ने लगाए नए प्रतिबंध
१२ अप्रैल २०२१यूरोपीय संघ की परिषद ने बताया है कि नवंबर 2019 में सरकार विरोधी आंदोलन को बर्बरता से दबाए जाने के सिलसिले में ईरान के 8 लोगों और 3 जेलों को प्रतिबंधों के दायरे में लिया गया है. यूरोपीय संघ के अनुसार उस समय पुलिस कार्रवाई में विभिन्न शहरों में बहुत से निहत्थे प्रदर्शनकारी या तो मारे गए थे या घायल हो गए थे.
यूरोपीय संघ के गजट के अनुसार रिवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर हुसैन सलामी, ईरानी पुलिस प्रमुख हुसैन अश्तरी, कुख्यात एविन जेल के पूर्व प्रमुख गोलामरेजा सियाई और शहरे कुद्स की गवर्नर लैला वासेगी उन लोगों में शामिल हैं जिनपर प्रतिबंध लगाए गए हैं. प्रतिबंधों से प्रभावित जेलों में एविन जेल भी शामिल है जहां राजनैतिक कैदियों को बंद रखा जाता है. वहां से अक्सर कैदियों को यातना दिए जाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन की खबर आती है.
ईरान का विरोध, मानवाधिकार पर बातचीत रोकी
यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के तहत प्रभावित लोगों और संस्थानों की यूरोपीय संघ में स्थित सारी संपत्ति को फ्रीज कर दिया गया है. साथ ही उन्हें कोई धन या आर्थिक संसाधन मुहैया नहीं कराए जाएंगे. प्रतिबंध की सूची में शामिल लोगों को पूरे यूरोपीय संघ के इलाके में घुसने पर रोक होगी. साथ ही यूरोपीय संघ के मौजूदा प्रतिबंधों को और एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है.
ईरान ने यूरोपीय संघ की कार्रवाई का विरोध किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सइद खातिबसादेह ने कहा है, "ये प्रतिबंध राजनीति से प्रेरित, अवैध और इसलिए हमारे लिए बेमानी हैं." प्रवक्ता ने कहा कि यदि यूरोपीय संघ ईरान में मानवाधिकारों पर गंभीर है तो उसे अमेरिका के अमानवीय प्रतिबंधों पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए, जिससे ईरान के 8.3 करोड़ लोग प्रभावित हैं.
यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के जवाब में ईरान के कई क्षेत्रों में यूरोपीय संघ के साथ सहयोग को रोक दिया है. ईरानी विदेश मंत्रालय के अनुसार मानवाधिकार मामलों, आतंकवाद विरोधी कदमों, ड्रग कारोबार और शरणार्थियों के मामलों में संवाद को रोक दिया गया है.
दस साल पहले हुई यूरोपीय प्रतिबंधों की शुरुआत
आलोचकों, विपक्ष और पत्रकारों के खिलाफ ईरान सरकार की कार्वाई में सख्ती के बाद यूरोपीय संघ ने 2011 से मानवाधिकारों के हनन के लिए प्रतिबंध लगाने की शुरुआत की थी. अब तक सरकार, न्यायपालिक, जेलों और खुफिया पुलिस के 87 अधिकारी को प्रतिबंधों की सूची में डाला गया है. उनके यूरोप आने पर रोक के अलावा उनके बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए गए हैं.
यूरोपीय संघ ने 2016 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते के बाद उस पर लगाए गए बहुत सारे आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध उठा लिए थे. ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सालों के विवाद के बाद ये समझौता हुआ था जिसका मकसद ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना था. पश्चिमी देश चाहते हैं कि ईरान परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए करे. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका इस संधि से एकतरफा तरीके से बाहर निकल गया था, लेकिन जो बाइडेन के सत्ता में आने के बाद फिर से बातचीत हो रही है.
एमजे/एके (डीपीए, एएफपी)