कोविड की महामारी में मरने वालों की संख्या पर भारत को एतराज
५ मई २०२२लंबे समय से विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी ब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट का इंतजार था ताकि यह पता चल सके कि इस महामारी में कुल कितने लोगों की जान गई. इसमें महामारी और उसकी वजह से पैदा हुए कारणों से होने वाली मौत की संख्या शामिल है. इसका मकसद महामारी के असर को व्यापक तौर पर समझना है.
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "डब्ल्यूएचओ का नया आकलन कोविड 19 के कारण सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2021 के बीच हुई कुल मौतों की संख्या बताता है."
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख तेद्रोस अधनोम गेब्रेयेसुस का कहना है, "ये गंभीर आंकड़े ना सिर्फ महामारी के असर की ओर इशारा कर रहे हैं बल्कि सभी देशों को ज्यादा लचीले स्वास्थ्य तंत्र में निवेश करने की जरूरत है जो संकट के दौर में जरूरी स्वास्थ्य सेवा मुहैया करा सके और जिसमें मजबूत स्वास्थ्य सूचनाओं का तंत्र भी शामिल हो."
भारत में कितने लोगों की मौत हुई
महामारी के दौरान कोविड के कारण होने वाली मौतों के सही आंकड़ों का पता लगाने की हर जगह समस्या रही है और माना जाता रहा कि जो आंकड़े हासिल हो रहे हैं उसमें पूरी तरह सच्चाई नहीं है. डब्ल्यूएचओ के अलावा जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने भी मौत और संक्रमण के आंकड़े जुटाने पर ध्यान लगाया इसके बावजूद बहुत सी मौतें दर्ज होने से रह गईं. अब तक 60 लाख से कुछ ज्यादा लोगों की मौत ही दर्ज है. हालांकि कई अलग अलग रिपोर्टों में यह संख्या इससे बहुत ज्यादा बताई गई है.
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्युएशन के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जनवरी 2020 से जनवरी 2021 के बीच एक करोड़ 80 लाख लोगों की मौत कोविड के कारण हुई. इसी तरह कनाडा के रिसर्चरों की एक टीम का आकलन है कि केवल भारत में ही 30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत दर्ज नहीं हुई. डब्ल्यूएचओ की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 33-65 लाख लोगों की मौत दर्ज नहीं हुई. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोविड के कारण सबसे ज्यादा मौत भारत में हुई है.
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट जारी होने के तुरंत बाद भारत ने इसे तैयार करने के तरीके पर सवाल उठाये हैं. भारत ने एक दिन पहले ही अपनी तरफ से भी आंकड़े जारी किये थे जिसमें कुल मिला कर 5 लाख 23 हजार 889 लोगों के मरने की बात कही गई है. भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि डब्ल्यूएचओ का विश्लेषण और आंकड़े जुटाने का तरीका “संदिग्ध” है. भारत ने यह शिकायत भी की है कि आंकड़ों को „भारत की चिंता दूर किये बगैर ही जारी” कर दिया गया है
अतिरिक्त मौत की गणना
इस रिपोर्ट में अतिरिक्त मौत की गणना की गई है. इसका मतलब है कि कुल हुई मौत की संख्या और महामारी की गैरमौजूदगी में होने वाली मौत की संख्या के बीच का अंतर. इसके लिए पिछले सालों में हुई मौत के आंकड़ों से अंतर निकाला गया है.
अतिरिक्त मौत में सीधे कोविड-19 से, बीमारी की वजह से या फिर अप्रत्यक्ष रूप से महामारी के कारण स्वास्थ्य तंत्र और समाज पर पड़े असर के कारण हुईं मौतों को शामिल किया गया है.
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डब्ल्यूएचओ ने कोविड को अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल 30 जनवरी 2020 को घोषित किया. उस वक्त कोरोना वायरस का चीन के बाहर प्रसार शुरू हो गया था. 2020 और 2021 में सभी देशों ने कोविड-19 से कुल मिला कर 54.2 लाख मौत की खबर डब्ल्यूएचओ को दी. यह आंकड़ा 2022 के मौतों को मिलाने पर आज 62.4 लाख तक पहुंच गया है.
डब्ल्यूएचओ लंबे समय से कहता आ रहा है कि मौत की असल संख्या उस संख्या से बहुत ज्यादा होगी जो कोविड के संक्रमण के आधार पर बताई जा रही है. महामारी के कारण अप्रत्यक्ष रूप से होने वाली मौतों में उन लोगों की मौत शामिल है जिन्हें कोविड के मरीजों को संभालने के बोझ से दबे डॉक्टर और अस्पताल अपनी सेवायें नहीं दे सके यानी जिन्हें उस दौर में आम चिकित्सा भी मुहैया नहीं कराई जा सकी.
अमेरिका, दक्षिण पूर्वी एशिया और यूरोप में सबसे ज्यादा मौत
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सबसे ज्यादा अतिरिक्त मौत यानी लगभग 84 फासदी केवल दक्षिण पूर्वी एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं. वास्तव में केवल 10 देशों में ही 68 फीसदी अतिरिक्त मौत दर्ज हुई है. उच्च आया वाले देशों में 15 फीसदी अतिरिक्त मौतें हुईं. इसी तरह उच्च मध्य आय वाले देशों में 28 फीसदी और निम्न मध्य आय वाले देशों में 53 फीसदी. जबकि निम्न आया वाले देशों में यह आंकड़ा महज 4 फीसदी का था.
पूरी दुनिया में मौत का आंकड़ा महिलाओं और पुरुषों के लिए भी अलग था. मारे गए वयस्कों में 57 फीसदी पुरुष और 43 फीसदी औरतें हैं.
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डब्ल्यूएचओ की सहायक महानिदेशक समीरा आसमा कहती हैं, "अतिरिक्त मौत की गणना महामारी के असर को समझने के लिए एक जरूरी घटक है." उन्होंने बताया कि मौत के रुझानों में बदलाव से फैसले लेने वालों को जरूरी जानकारी मिलती है जिससे कि वे मौत की दर को घटाने और भविष्य के संकट से बचने के लिए काम कर सकते हैं.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 1.49 करोड़ का आंकड़ा दुनिया के विशेषज्ञों ने तैयार किया है. इन लोगों ने ऐसे तरीके विकसित किए हैं जिससे कि कम आंकड़े होने पर भी सही आकलन किया जा सके. बहुत से देशों में मौत की दर पर नजर रखने का भरोसेमंद तरीका बनाने की क्षमता नहीं है ऐसे में वो अतिरिक्त मौत की दर जानने के लिए जरूरी आंकड़े नहीं जुटा सकते. हालांकि सार्वजनिक रूप से कुछ तरीके जरूर मौजूद हैं जिनकी मदद से यह काम किया जा सकता है.
एनआर/आरपी (एएफपी, एपी)