गद्दाफी ने कहा, लंबी लड़ाई के लिए कस ली है कमर
२० मार्च २०११एक टीवी संदेश में गद्दाफी ने कहा, "सभी लीबियाई लोग एकजुट हैं. सभी लीबियाई महिला और पुरूषों को हथियार और बम दिए गए हैं. आप आगे नहीं बढ़ोगे. आप इस जमीन पर कदम नहीं रख पाओगे. हम आपको लंबे युद्ध का वादा करते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं होगी."
रविवार को लगातार दूसरे दिन कैमरे के सामने आए बिना सरकारी टीवी पर संदेश देने वाली गद्दाफी ने कहा, "हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं. आप लीबिया में लंबी लड़ाई के लिए तैयार नहीं हैं. हम तैयार हैं. यह बहुत ही खुशी का पल है कि हम जी रहे हैं." गद्दाफी ने कहा कि ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका के नेता हिलटर और मुसोलिनी की तरह गिर जाएंगे. उन्होंने कहा, "अमेरिका फ्रांस, या ब्रिटेन, ईसाई हमारे खिलाफ एकजुट हो गए हैं. उन्हें हमारा तेल नहीं मिलेगा. आप हमलावर हो. आप पशु हो. हमें युद्ध के मैदान से हटना नहीं पड़ेगा क्योंकि हम अपनी जमीन और गरिमा की रक्षा कर रहे हैं." लीबिया में गद्दाफी के खिलाफ कई हफ्तों से विद्रोह भड़क रहा है.
बेनगाजी में मौतें
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने शनिवार को हवा और समुद्र से गद्दाफी की सेनाओं को मिसाइलों से निशाना बनाया. यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत की गई है जिसमें विद्रोहियों पर गद्दाफी के हमलों को रोकने के लिए नो फ्लाई जो लागू करने की अनुमति दी गई है. लीबियाई सरकारी टीवी के मुताबिक पश्चिमी लड़ाकू विमानों ने राजधानी त्रिपोली में रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया है जिसमें आम लोगों की जानें गई हैं. सेना के प्रवक्ता ने कहा कि त्रिपोली के पूर्व में विद्रोहियों के कब्जे वाले मिसराता शहर में तेल टैकों पर हमले हुए हैं. सरकारी टीवी के मुताबिक पश्चिमी देशों की कार्रवाई में 48 लोग मारे गए और 150 घायल हुए हैं. मरने वालों में ज्यादातर बच्चे बताए जाते हैं.
उधर बेनगाजी में गद्दाफी के समर्थक सैनिकों के हमले में 94 लोगों के मारे जाने की खबर है. विद्रोहियों के कब्जे वाले बेनगाजी शहर में अस्पताल से जानकारी मिली है. बेनगाजी के जाला अस्पताल के डॉक्टर खालेद मुगासाबी ने कहा, "कल हमारे पास 50 शव आए. आज हमने लगभग 35 मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए हैं." एएफपी संवाददाताओं ने जाला अस्पताल के एक कमरे में नौ गद्दाफी समर्थकों के शव भी देखे हैं. कई और लोगों के मारे जाने का भी अंदेशा है. बेनगाजी में शुक्रवार और शनिवार सुबह तक गद्दाफी समर्थक सैनिकों और विद्रोहियों के बीच लड़ाई हुई जिसके नतीजे में ये मौतें हुई हैं.
कार्रवाई का विरोध
इस बीच लीबिया पर बहुराष्ट्रीय सैन्य कार्रवाई का कई देशों ने विरोध किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा, "भारत लीबिया में जारी हिंसा, अशांति और बिगड़ती मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता जताता है. उसे हवाई हमलों पर भी अफसोस है. जो भी कदम उठाया जा रहा है उससे स्थिति बिगड़नी नहीं बल्कि बेहतर होनी चाहिए." भारत ने लीबिया में शांतिपूर्ण तरीके से हल की अपील की है.
रूस और चीन ने भी इसी तरह के बयान जारी किए हैं. ये दोनों देश 15 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लीबिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का प्रस्ताव आते वक्त भी अपना विरोध जता चुके हैं. भारत भी सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है. लेकिन भारत, रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लीबिया में नो फ्लाई जोन लागू करने की अनुमति दी गई है. उन्होंने प्रस्ताव के दौरान मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
ईरान ने भी लीबिया पर पश्चिमी देशों की कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रामीन मेहमानपरस्त ने कहा, "विश्व ताकतों के सैन्य हस्तक्षेप का पिछला रिकॉर्ड बताता है कि वे संदिग्ध रहे हैं. अब तक पश्चिम देश इस तरह के हमले अपने हितों को संरक्षित करने के लिए करते रहे हैं. इनके जरिए वे या तो अपने सैन्य ठिकाने बनाते हैं या फिर नई तरह से औपनिवेशिक नीतियों को जारी रखते हैं." ईरानी प्रवक्ता ने लीबिया के लोगों को खबरदार किया है कि वह सावधान रहे और अपने देश में विश्व ताकतों का दबदबा कायम न होने दें. ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने प्रदर्शनकारियों की हत्याओं के लिए लीबियाई नेतृत्व की निंदा की है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी