'चीन, भारत हमारा दबदबा कम नहीं कर सकते'
२५ मई २०११ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा, "चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश बहुत तेजी से आगे आ रहे हैं. चूंकि बहुत तेजी से यह बदलाव हो रहा है इसलिए कई धड़े यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या इन देशों के ऊपर आने से दुनिया में अमेरिका और यूरोप का प्रभाव कम नहीं हो जाएगा. इस बारे में आगे भी दलील दी जाती है कि यह देश भविष्य का नेतृत्व हैं और अमेरिका, यूरोप का समय खत्म हो चुका है. यह दलील गलत है. यही हमारे नेतृत्व का समय है. अमेरिका यूरोप के नेतृत्व में नए देशों को ऊपर आने का मौका मिला. और भी देश वैश्विक नेतृत्व की जिम्मेदारी ले सकते हैं. हम दुनिया में कामों की गति बढ़ाने वाले उत्प्रेरक हमेशा बने रहेंगे."
लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में ओबामा के भाषण का कई विदेश नीति के जानकारों को इंतजार था.
अफगानिस्तान
बराक ओबामा ने कहा, "हम अफगानिस्तान में अफगान सुरक्षा बलों को जिम्मेदारी दे कर नया अध्याय शुरू करना चाहते हैं. इस बदलाव के दौरान हम उन लोगों के साथ लंबे समय तक शांति बनाए रखेंगे जो अल कायदा को छोड़ संविधान के साथ आते हैं. हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि अफगानिस्तान आतंकियों के लिए पनाहगाह नहीं बन सके बल्कि मजबूत, संप्रभु देश बने और अपने पैरों पर खड़ा रह सके."
मध्यपूर्व और उत्तर अफ्रीका
"एक के बाद एक कई देशों में लोग खुद को मजबूत मकड़ से आजाद करना चाह रहे हैं. इतिहास हमें बताता कि लोकतंत्र इतना आसान नहीं है. इस बदलाव को लक्ष्य पाने में बहुत साल लगेंगे और बीच में कई मुश्किलें आएंगी. जिन देशों में जातियों और कबीलों में विभाजन है वहां सत्ता का बदलना मुश्किल है."
लीबिया पर
अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि उनकी राय में हमले में काफी गति बनी हुई है और अगर इसे जारी रखा जाता है तो अंततः गद्दाफी को सत्ता छोडनी पड़ेगी. अमेरिका लीबिया में हवाई हमलों में शामिल नहीं है और नाटो के कुछ हलकों में इसकी दबी आवाज में शिकायत की जा रही है. आखिरकार आजादी लोगों ने खुद हासिल करनी चाहिए न कि उन पर थोपी जानी चाहिए. लेकिन हम खड़े हो सकते हैं और रहना चाहिए उन सबके लिए जो संघर्ष कर रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम