जीत से कम नहीं रहा ड्रॉ
१५ नवम्बर २०१२पिछले महीने स्वीडन के खिलाफ जर्मनी 4-0 से आगे था. कोच योआखिम लोएव और टीम के हर खिलाड़ी को लग रहा था कि जीत उनके पास दौड़ दौड़कर आ रही है, लेकिन तभी स्वीडन ने दनादन चार गोल ठोंक दिए. मुकाबला ड्रॉ हो गया और कोच, कप्तान और खिलाड़ियों को यकीन ही नहीं हुआ कि उनके नीचे से जमीन खिसक चुकी है. टीम को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा.
ऐसा करारा सदमा झेलने के बाद बुधवार रात जर्मन टीम का सामना कट्टर प्रतिद्वंद्वी नीदरलैंड्स से हुआ. आक्रामक खेल के लिए मशहूर जर्मन टीम बीती रात पूरी तरह बचाव की मुद्रा में दिखी. ऐसा लगा कि जैसे टीम तय करके आई थी कि एक भी गोल नहीं खाना है.
नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम में घरेलू टीम का मनोबल ऊंचा था. स्टेडियम में हर जगह नारंगी रंग के नीदरलैंड्स समर्थक दिखाई दे रहे थे. आधिकारिक रूप से मैच भले ही दोस्ताना था, लेकिन दोनों टीमों की नाक दांव पर लगी थी. फुटबॉल में जर्मनी और हॉलैंड की प्रतिद्वंद्विता कुछ ऐसी है जैसे क्रिकेट में भारत पाकिस्तान की.
दोनों टीमों में कई नए खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में मौका दिया गया है. जर्मन टीम भले ही गोल न कर सकी लेकिन ज्यादातर वक्त गेंद अपने पास रखने में सफल रही. पूरे खेल में दोनों ही टीमों ने साधारण प्रदर्शन किया. गोल के मौके कभी कभार बने और गंवा दिए गए. हालांकि हॉलैंड ने जर्मन गोलपोस्ट पर एक दो अच्छे हमले किए.
मैच के बाद जर्मन कप्तान फिलिप लाम ने कहा, "दोनों टीमों ने अच्छा खेल दिखाया. दोनों के पास गेंद काफी वक्त रही लेकिन दोनों ने बहुत ज्यादा मौके नहीं बनने दिए. यह बहुत बहुत सकारात्मक नतीजा है, वो भी तब जब पिछले मैच में हम 4-4 से ड्रॉ खेल चुके हैं. हमने कोई गोल नहीं खाना चाहते थे और हमने यह किया भी, इसीलिए ड्रॉ हमारे लिए सही नतीजा है."
हॉलैंड ने दूसरे हाफ में गोल करने के लिए थोड़ा जोर जरूर लगाया लेकिन डच टीम एक बार जर्मनी को हराने में सफल न हो सकी. हॉलैंड ने आखिरी बार जर्मनी को नवंबर 2002 में हराया था. हॉलैंड के कोच फान गाल कहते हैं, "पहले हाफ में जर्मन भारी पड़े लेकिन ब्रेक के बाद हम खेल को अपने नियंत्रण में लेने में सफल रहे."
दोनों टीमें भले ही ड्रॉ से संतुष्ट हों लेकिन दर्शकों के लिए मैच बोरिंग रहा. जर्मनी का अगला मुकाबला अब अगले साल छह फरवरी को फ्रांस से पैरिस में है.
ओएसजे/एनआर (एएफपी)