भारत में होगी गौ-विज्ञान परीक्षा
७ जनवरी २०२१आयोग के अध्यक्ष वल्लभभाई कठीरिया ने बताया कि परीक्षा एक घंटे लंबी और निशुल्क होगी और इसमें बच्चे, वयस्क और विदेशी नागरिक भी हिस्सा ले पाएंगे. परीक्षा में 100 बहु-विकल्प वाले सवाल पूछे जाएंगे. सवाल हिंदी, अंग्रेजी और 12 प्रांतीय भाषाओं में पूछे जाएंगे. कठीरिया के अनुसार परीक्षा का उद्देश्य गाय के बारे में आम लोगों के ज्ञान के स्तर के बारे में पता लगाना और उन्हें "सिखाना और संवेदनशील बनाना" है.
परीक्षा में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे और सफल परीक्षार्थियों को इनाम भी दिए जाएंगे. कठीरिया का कहना है, "गाय के अंदर विज्ञान और अर्थशास्त्र भरा हुआ है. लोग इस पशु के सच्चे आर्थिक और वैज्ञानिक मूल्य के बारे में नहीं जानते हैं." कामधेनु आयोग ने इस परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम भी जारी किया. इसमें गाय की अलग अलग नस्लों पर जानकारी और जानवरों को मारने से भूकंप आता है जैसी धारणाएं भी शामिल हैं.
भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज में कई लोग गाय को पूज्य मानते हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद गाय राजनीतिक और संप्रदायवादी झगड़ों का कारण बन गई है. मोदी सरकार ने गायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी हुई है और उसे बचाने और उसके गोबर और मूत्र के इस्तेमाल पर शोध पर लाखों रुपए खर्च कर दिए हैं.
सांस्कृतिक विविधता और संवैधानिक तौर पर धर्म-निरपेक्षता की नीति में विश्वास करने वाले देश के कई हिस्सों में गाय को मारना और बीफ खाना गैर-कानूनी बना दिया गया है, जब कि कहीं पर इसके खिलाफ मिलने वाली सजा को बढ़ा दिया गया है. कानून को अपने हाथ में लेने वाले कई हिंदूवादी संगठनों ने मुसलमानों और तथाकथित नीची-जाति वाले हिन्दुओं पर कई हमले किए हैं क्योंकि ये समूह या तो पारंपरिक रूप से बीफ खाते रहे हैं या मरी हुई गायों के कंकालों को ठिकाने लगाते रहे हैं.
मंगलवार 5 जनवरी 2021 को कर्नाटक में गौ संरक्षण कानून में बदलाव करके पुलिस को गौ-हत्या का शक होने पर कहीं भी तलाशी लेने और किसी को भी गिरफ्तार करने की और शक्तियां दी गई हैं. राज्य में बीजेपी की सरकार है जिसने इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को बढ़ाकर सात साल कारावास और जुर्माने को बढ़ा कर 10 लाख रुपये कर दिया है.
सीके/एए (एएफपी)
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