पहला ब्रेल स्मार्टफोन भारत से
२९ अक्टूबर २०१३नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन से इंटरेक्शन डिजाइन में पढ़ाई कर रहे सुमित डागर को मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान ब्रेल में स्मार्टफोन बनाने का आइडिया आया. और तभी से उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया. उनकी इस पहल के लिए उन्हें और उनके साथियों को 2012 में रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज से सम्मानित किया गया, जिसमें पुरस्कार के पचास हजार डॉलर से उनके इस प्रोजेक्ट को बल मिला.
डागर बताते हैं, "मैंने इस प्रोजेक्ट पर मास्टर्स के दौरान काम शुरू किया, यह हमारे कोर्स का हिस्सा तो नहीं था लेकिन तकनीकी पृष्ठभूमि का होने की वजह से मुझे यह फर्क हमेशा दिखता था कि ज्यादातर उपभोक्ताओं के पास जो सुविधाएं हैं, वो कुछ अन्य लोगों के पास नहीं हैं."
फोन की स्क्रीन पर पिनों की एक ग्रिड है. ये पिनें ऊपर नीचे घुमाकर उनसे ब्रेल आकार बनाए जा सकते हैं. इस फोन की खासियत यह होगी कि इसमें निशान, आकार और चित्र सभी उभरे हुए बनेंगे, जिन्हें अंगुलियों से महसूस किया जा सकेगा.
अपार संभावनाएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में करीब 30 करोड़ लोगों के पास देखने की क्षमता नहीं है. इनमें से एक चौथाई आबादी सिर्फ भारत में ही है. मतलब बाजार में इस फोन के लिए बड़ी संभावनाएं हैं.
ब्रेल फोन बना रहे 29 साल के डागर कहते हैं कि एक आंखों वाला आदमी किस तरह के उपकरण इस्तेमाल कर सकता है, यह एक दृष्टिहीन व्यक्ति से काफी अलग है. और इन दोनों के बीच खाई को डिजाइन ही भर सकता है. उन्होंने कहा, "फोन के फाइनल संस्करण के लिए हम कई प्रयोग कर रहे हैं. इनमें से एक है, पीजोइलेक्ट्रिक तकनीक जो इस तरह के इस्तेमाल के लिए करीब 30 साल से उपलब्ध है. एक और आधुनिक तकनीक जिस पर हम काम कर रहे हैं वह है मिश्रधातु पर आधारित शेप मेमोरी."
हालांकि ब्रेल स्मार्टफोन का काम अभी शुरुआती स्तर पर ही है लेकिन काम तेजी से आगे बढ़ रहा है.
सिर्फ दृष्टिहीनों के लिेए नहीं
डिजाइन टीम में काम कर रही निशिता गिल मानती हैं कि यह फोन दूसरे स्मार्टफोनों को भी टक्कर देगा. वह कहती हैं, "कल्पना कीजिए एक ऐसा स्मार्टफोन जिसमें आपको स्क्रीन में देखने की जरूरत नहीं, बगैर देखे ही आप मेसेज और कॉल कर सकते हैं. यह स्मार्टफोन के बाजार में एक बहुत बड़ा परिवर्तन होगा."#
बेसब्री से इंतजार
भारत में दृष्टिहीनों के लिए क्रिकेट काउंसिल (वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउंसिल) के पहले अध्यक्ष जॉर्ज अब्राहम को इस फोन से काफी उम्मीदें हैं. उन्होंने कहा, "बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो ब्रेल जानते हैं और उनके लिए यह फोन काम का होगा. दुनिया बहुत बड़ी है और इस तरह के उत्पादों से ग्राहकों को निश्चित रूप से फायदा होगा."
डागर मानते हैं कि फोन को बाजार में लाने से पहले उनकी टीम को कई बड़ी चुनौतियों से गुजरना है. जिनमें से एक यह है कि फोन की इंटरेक्टिव या संवादमूलक स्क्रीन की भौतिक सतह कैसी हो. लेकिन उन्हें भरोसा कि कि वह इस चुनौती को हल कर लेंगे.
डिजाइन की जीत
डागर कहते हैं कि पिछले कुछ साल में बाजार में आए क्रांतिकारी बदलाव का कारण है तकनीक पर डिजाइन की जीत. आईफोन और दूसरे नए उत्पादों की शुरुआत यहीं से हुई. मूल रूप से वे तकनीक का ही इस्तेमाल कर रहे थे लेकिन उन्होंने डिजाइन और तकनीक को कुछ यूं जोड़ दिया कि उपभोक्ता खुद को इससे दूर नहीं रख पाए. यह क्रांति तो आई लेकिन इसमें कुछ वर्ग पीछे रह गए, और इस दूरी को भरना डागर का सपना है.
ब्रेल स्मार्टफोन को विकसित कर रही टीम का कहना है कि यह फोन ग्राफिक, चित्र और दिशाओं जैसी वह सभी जानकारियां देगा जो कि एक टचस्क्रीन फोन देता है.
फिलहाल डागर का यह प्रोजेक्ट इनाम में मिली धनराशि से चल रहा है. वह उम्मीद करते हैं कि 2014 की शुरुआत में उनकी टीम ब्रेल फोन का प्रारंभिक रूप बाजार में ला सकेगी और अगले पांच साल में ब्रेल स्मार्टफोन भी तैयार हो जाएगा.
रिपोर्ट: मुरली कृष्णन/ एसएफ
संपादन: आभा मोंढे