किसान बिलों के विरोध में भारत बंद
२५ सितम्बर २०२०ये तीन बिल हैं आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक. इनका उद्देश्य ठेके पर खेती यानी 'कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग' को बढ़ाना, खाद्यान के भंडारण की सीमा तय करने की सरकार की शक्ति को खत्म करना और अनाज, दालों, तिलहन, आलू और प्याज जैसी सब्जियों के दामों को तय करने की प्रक्रिया को बाजार के हवाले करना है.
बिल के आलोचकों का मानना है कि इनसे सिर्फ बिचौलियों और बड़े उद्योगपतियों का फायदा होगा और छोटे और मझौले किसानों को अपने उत्पाद के सही दाम नहीं मिल पाएंगे. सरकार ने बिलों को किसानों के लिए कल्याणकारी बताया है, लेकिन कई किसान संगठनों, कृषि विशेषज्ञों और विपक्षी दलों का कहना है कि इन बिलों की वजह से कृषि उत्पादों की खरीद की व्यवस्था में ऐसे बदलाव आएंगे जिनसे छोटे और मझौले किसानों का शोषण बढ़ेगा.
तीनों बिल संसद से पारित हो चुके हैं और अब उन पर बस राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने बाकी हैं. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही तीनों बिल जून से ही जारी अध्यादेशों की जगह ले लेंगे. विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से बिल को मंजूरी ना देने की अपील की है. बिलों के विरोध में पंजाब में किसान 'रेल रोको' आंदोलन के तहत रेल की पटरियों पर बैठे हैं.
इसे देखते हुए रेलवे ने पंजाब से गुजरने वाली कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है. पंजाब के कई शहरों में पुलिस की भारी तैनाती भी की गई है. कई जगह प्रदर्शनकारियों ने राज्यमार्गों को भी जाम कर दिया है. पंजाब के किसानों के विरोध को देखते हुए अकाली दल को भी बिलों का विरोध करना पड़ा और केंद्र सरकार से इस्तीफा देना पड़ा. उत्तर भारत के अलावा दक्षिण भारत में भी कई स्थानों पर प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों ने कर्नाटक-तमिलनाडु राज्यमार्ग भी जाम कर दिया है.
जानकारों का कहना है कि तीनों विधेयकों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का एक बार भी उल्लेख नहीं है और इसी वजह से किसानों को यह डर है कि सरकार कहीं इनके जरिए एमएसपी व्यवस्था ही खत्म तो नहीं कर देना चाह रही है. सरकार ने तो कहा है कि एमएसपी को खत्म करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन किसानों से बात ना करने की वजह से सरकार और किसानों के बीच भरोसे की कमी हो गई है, और इसी वजह से विधेयकों का इतना विरोध हो रहा है.
कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और वामपंथी पार्टियों समेत कई पार्टियां भी इन बिलों का विरोध कर रही हैं. इन सभी पार्टियों ने अलग अलग राज्यों में भारत बंद के समर्थन में प्रदर्शनों का आयोजन किया है. बिहार में ये प्रदर्शन आरजेडी नेता और विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजश्वी यादव के नेतृत्व में हो रहे हैं.
बिहार में 2006 में ही एपीएमसी कानून समाप्त कर दिया था और जानकारों का कहना है कि ऐसा करने से राज्य में किसानों को उनके उत्पादों के और भी कम दाम मिलने लगे हैं.
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