नशे में चूर पंजाब का युवा
२० मार्च २०१३अफीम, चरस, हेरोइन और बार्बिचुरेट, पंजाब के युवा को इन नशीले पदार्थों की लत लगती जा रही है. जिनके पास इन्हें खरीदने का रास्ता नहीं है वे शराब के नशे में डूबे हैं. लत का आलम यह है कि कई युवा तो खांसी के सिरप को भी नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उनमें भी कुछ मात्रा में अल्कोहल होता है और बाजार में इन्हें खरीदने में कोई मुश्किल भी नहीं आती.
हर हफ्ते एक मौत
पंजाब में महिलाओं और बच्चो के लिए सामाजिक सुरक्षा विभाग के पिछले साल के अंत में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पंजाब के गांवों में करीब 67 फीसदी घर ऐसे हैं जहां कम से कम एक व्यक्ति को नशे की लत है. इसके अलावा हर हफ्ते कम से कम एक व्यक्ति की ड्रग ओवरडोज के कारण मौत भी होती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नशे के आदि लोगों की उम्र अधिकतर 16 से 35 साल के बीच है. इस से साफ पता चलता है कि पंजाब में युवाओं में नशे का जहर किस हद तक फैला हुआ है. यही हालात पंजाब की सीमा से लगे इलाकों के भी हैं.
गुरु नानक अस्पताल के मनोवैज्ञानिक डॉक्टर पीडी गर्ग ने डॉयचे वेले से बातचीत में बताया, "अगर हमने इस समस्या के बारे में कुछ नहीं किया तो युवाओं की एक पूरी पीढ़ी गायब हो जाएगी. नेताओं की इसमें कोई रूचि नहीं है, लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए नए कदम उठाने होंगे."
गर्ग का कहना है कि उनके पास हर रोज करीब 30 मरीज आते हैं जो नशे की लत से जूझ रहे हैं. इस बढ़ती संख्या को देखते हुए गर्ग काफी चिंतित हैं, "इसके कारण पूरे पूरे परिवार बर्बाद हो रहे हैं और मुझे इसमें कोई सुधार नहीं दिख रहा. ऐसा लग रहा है जैसा पूरा पंजाब ही ड्रग्स नाम के किसी बड़े से ऑक्टोपस की चपेट में आ गया हो."
पाकिस्तान और अफगानिस्तान से
पंजाब के एक निजी अस्पताल में काउंसलर डॉक्टर हरदीप सिंह का कहना है कि यदि इस मामले में सख्ती नहीं बरती गयी तो ड्रग्स लेने के लिए इंजेक्शन के इस्तेमाल से एड्स के मामले बढ़ने का भी खतरा हो सकता है.
सिंह का कहना है कि पिछले कुछ समय में उन्होंने नशे के मामलों को बढ़ते हुए देखा है, "नशे की लत की समस्या पंजाब की सीमा से लगे इलाकों में भी बढ़ती जा रही है, इसमें पाकिस्तान के कई गांव भी शामिल हैं. जिन युवाओं से खेती बाडी के पारिवारिक बिजनेस को आगे ले जाने की उम्मीद की जा रही थी, वह इस जाल में फंसे हुए हैं."
सबसे ज्यादा समस्या है हेरोइन के इस्तेमाल से. अफगानिस्तान में सुरक्षा में लगातार लगती सेंध और अफीम की फिर से शुरू हुई खेती के कारण इसकी तस्करी शुरू हो गयी है. अधिकारियों का कहना है कि ड्रग माफिया बेहद संगठित तरीके से सीमा पार से इसे ला रहा है और पंजाब के युवाओं को बेच रहा है.
पकड़े 275 किलो ड्रग्स
पिछले साल पंजाब की सीमा के पास हुए छापे में पुलिस ने भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद किए थे जो कि पाकिस्तान से लाए जा रहे थे. इसके बाद गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों ने मामले को ले कर थोड़ी संजीदगी दिखाई. अधिकारियों ने माना कि 275 किलो ड्रग्स का बरामद होना दिखाता है कि पंजाब में इसकी कितनी ज्यादा मांग है.
अमृतसर में बीएसएफ के कमांडर जेएस प्रसाद ने डॉयचे वेले को बताया,"तस्करी करने वाले लोग सीमा पार से ड्रग्स लाने के नए नए तरीकों की फिराक में रहते हैं. उनके तरीके दिन पर दिन बेहतर होते जा रहे हैं और हमें उनसे एक कदम आगे चलना होगा. हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैं इसकी संजीदगी को समझता हूं." प्रसाद का कहना है कि आंकड़े तो केवल उन्हीं चीजों के मौजूद हैं जो पकड़े गए, "जो पकड़े नहीं गए, उनकी बात तो यहां है ही नहीं."
पंजाब में युवाओं में फैलती नशे की लत एक राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है और अगर सरकार ने इसे वक्त रहते नहीं सुलझाया तो शायद यह बेकाबू हो जाए.
रिपोर्ट: मुरली कृष्णन/आईबी
संपादन: आभा मोंढे