जर्मन छात्र से भारत छोड़ने को कहा गया
२४ दिसम्बर २०१९नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ कई विदेशी नागरिक भी एकजुटता दिखा रहे हैं. आईआईटी मद्रास में एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत पढ़ रहे एक जर्मन छात्र को इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की वजह से केन्द्रीय एजेंसियों ने अपने देश लौट जाने को कहा है.
भारतीय मीडिया की रिपोर्टों में लिन्डेनथाल के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने कुछ दिन पहले चेन्नई में सीएए के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया. हाथ में कई तरह के पोस्टर लिए लिन्डेनथाल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अब वायरल हो रही हैं. इनमें से एक पोस्टर पर "1933-45. हम वहां जा चुके हैं" लिखा हुआ देखा जा सकता है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी है जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वो प्रदर्शनकारियों से एकजुटता दिखाने के लिए प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. वीडियो में लिन्डेनथाल यह भी कह रहे हैं कि वह इसलिए प्रदर्शनों से जुड़ रहे हैं क्योंकि मानवाधिकार हर जगह एक ही जैसे हैं.
बताया जा रहा है कि लिन्डेनथाल जर्मनी के ड्रेसडेन के निवासी हैं और आईआईटी मद्रास के फिजिक्स विभाग में एक साल के एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत स्नातकोत्तर कोर्स कर रहे थे. उन्होंने मीडिया को बताया कि उन्हें फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (एफआरआरओ) ने सबसे पहले संपर्क किया था.
जब वे अप्रवासन विभाग गए तो वहां अधिकारियों ने उन्हें कहा कि उन्होंने अपने वीजा के नियमों का उल्लंघन किया है और उन्हें तुरंत अपने देश वापस लौट जाना होगा. उनका यह भी कहना है कि आश्चर्यजनक रूप से उन्हें सारे आदेश मौखिक रूप से दिए गए और एक भी आदेश लिखित में नहीं दिया गया.
लिन्डेनथाल ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि प्रदर्शन में शामिल होने पर उनसे जो सवाल किए गए उनमें चिंता बार नामक एक मार्क्सवादी समूह से उनकी नजदीकी से जुड़े सवाल भी थे. चिंता बार ने ही आईआईटी मद्रास में उस प्रदर्शन का आयोजन किया था.
लिन्डेनथाल ने कहा, "मैंने उन्हें समझाया कि मैंने इस तरह के हर समूह से दूरी बना ली है. बातचीत के दौरान, प्रदर्शन में शामिल होने के मेरे फैसले के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि मैं अनभिज्ञ हूं और जब मुझे नहीं मालूम कि मैं किस चीज के खिलाफ विरोध कर रहा हूं तो ऐसे में मुझे प्रदर्शन में शामिल नहीं होना चाहिए था. मैंने अपनी असहमति जताई और कहा कि ये सब लोगों के मूल मानवाधिकारों के बारे में था."
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