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पाकिस्तान में नए रिएक्टरों पर अमेरिका को एतराज

१९ मार्च २०११

अमेरिका ने दो नए परमाणु रिएक्टर बनाने में पाकिस्तान को चीन की मदद पर फिर आपत्ति जताई है. उसका कहना है कि दोनों देशों का यह सहयोग परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से किए गए चीन के वादों के खिलाफ है.

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करीबी सहयोगी हैं चीन और पाकिस्तानतस्वीर: AP

चीन की राजधानी बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत के बाद दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने कहा कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चश्मा में दो नए परमाणु रिएक्टर बनाने में चीन की मदद परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से की गई चीनी वचनवद्धताओं के मुताबिक नहीं है.

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि चीन अपनी वचनबद्धताओं का पालन करेगा जो उसने 2004 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होते वक्त की थीं. खास तौर से हम मानते हैं कि चश्मा तीन और चार नाम के नए परमाणु रिएक्टरों का निर्माण इन वचनबद्धताओं के अनुरूप नहीं होगा."

चीन के इरादों पर एतराज

अमेरिका और दूसरे एनएसजी देशों का कहना है कि पाकिस्तान को चश्मा एक और दो परमाणु रिएक्टरों को बनाने में मदद करने वाले चीन ने 2004 में एनएसजी का सदस्य बनते हुए यह नहीं बताया था कि वह आगे भी पाकिस्तान को ऐसी मदद देने वाला है जबकि नियम के मुताबिक ऐसा अनिवार्य है. दो अतिरिक्त रिएक्टरों के अलावा चीन ने पिछले साल पाकिस्तान के लिए मेगा वन गिगावाट का परमाणु रिएक्टर बनाने की योजना का भी एलान किया.

चीन का कहना है कि पाकिस्तान के साथ उसका असैनिक परमाणु सहयोग अंतरराष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेसी के दिशानिर्देशों के मुताबिक है जिसने हाल में ही में चश्मा तीन और चार को अपनी मंजूरी दी. ब्लेक ने चीन के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिका पाकिस्तान में बिजली संकट को हल करने के लिए बहुत से मामलों में अग्रणीय भूमिका निभा रहा था जिसमें मौजूदा बिजली उत्पादन ईकाइयों को बेहतर करना शामिल था. साथ ही उसकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ और विकल्पों पर भी विचार हो रहा था.

भारत से सहयोग जारी

ब्लेक ने कहा, "मैं यह कहना चाहता हूं कि यह बहुत जरूरी है कि चीन एनएसजी की अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करे. दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी पाकिस्तान की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में हर मुमकिन मदद देनी होगी. एक बार फिर, मैं समझता हूं कि पाकिस्तान की मदद के लिए गैर परमाणु स्रोतों से भी बहुत कुछ किया जा सकता है." ब्लेक ने कहा कि इस मुद्दे की चर्चा चीनी अधिकारियों से होने वाली बातचीत में नहीं हुई.

जब ब्लेक से पूछा गया कि क्या जापान में विकिरण संकट के बाद भी अमेरिका भारत से असैनिक परमाणु सहयोग के फैसले पर फिर से विचार करेगा तो उन्होंने कहा, "नहीं. हम भारत के साथ असैनिक परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए वचनबद्ध हैं. मुझे लगता है कि इस बारे में कोई फैसला करना अभी जल्दबाजी होगी कि जापान के संकट का असैनिक परमाणु ऊर्जा उद्योग पर दुनिया भर में क्या फर्क पड़ेगा. लेकिन हां, यह ऐसा सवाल है जिस पर सभी की नजर होगी."

ब्लेक ने कहा कि चीन के सहायक विदेश मंत्री छेंग कुओफिंग और मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के साथ उनकी रचनात्मक बात हुई.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एमजी

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