पार्टी बना बोले मुशर्रफ, मैं वापस आऊंगा
१ अक्टूबर २०१०पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर दी है. वह देश की राजनीति में लौटना चाहते हैं और उन्हें यकीन है कि वह फिर राष्ट्रपति बन सकते हैं.
पद से हटने के बाद से विदेशों में रह रहे मुशर्रफ की पार्टी का नाम है ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग. उन्होंने शुक्रवार को लंदन में इसकी घोषणा की. मुशर्रफ का मकसद 2013 के चुनावों में हिस्सा लेना है. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह चुनावों से पहले ही देश लौट जाएंगे. उन्होंने कहा, "मैं माहौल बनाने की प्रक्रिया में हूं. जितनी मेरी राजनीतिक ताकत बढ़ेगी, उतनी ही मेरी वापसी की संभावना बढ़ेगी और मेरी सुरक्षा सुनिश्चित होगी."
मुशर्रफ ने इन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि देश वापसी पर उन्हें देशद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया जा सकता है. हालांकि उन्होंने माना कि उनकी जान को इस्लामिक आतंकवादियों से खतरा है. उन पर दो बार पहले भी जानलेवा हमले हो चुके हैं. मुशर्रफ ने कहा, "मैं खतरा उठाने को तैयार हूं, लेकिन मैं खतरा सही वक्त पर उठाऊंगा. मैं 2013 तक इंतजार नहीं करूंगा."
मुशर्रफ देश वापसी के लिए जितने उत्साह से योजनाएं बना रहे हैं, जानकारों का मानना है कि लोग उनकी वापसी को लेकर उतने उत्साहित नहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषक हसन असकरी रिजवी कहते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति में उनके जगह बनने की संभावनाएं कम ही हैं. उन्होंने कहा, "परंपरा ऐसी रही है कि सैन्य शसक कभी भी लोकप्रिय राजनीति में सफल नहीं हुए. इनमें वे भी शामिल हैं जो विपक्ष में गए. उन्हें वापस आकर अपनी ताकत का मुजाहिरा करना होगा. लंदन में बैठकर तो आप राजनीति नहीं कर सकते."
इसी हफ्ते एक सार्वजनिक बहस में पूर्व सैन्य प्रमुख ने लंदन में अपनी वापसी की वजहों का खुलासा किया था. उन्होंने कहा, "जब मैं देखता हूं कि पाकिस्तान में क्या हो रहा है तब मुझे लगता है कि वहां जाने की ज्यादा जरूरत है. जब जरूरत है तो आपको खतरे उठाने पड़ेंगे."
67 साल के मुशर्रफ ने अगस्त 2008 में राष्ट्रपति पद छोड़ा था. उसके बाद देश में बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने सरकार बनाई. हालांकि बेनजीर भुट्टो को उससे पहले ही कत्ल कर दिया गया. मुशर्रफ की जगह राष्ट्रपति पद बेनजीर भुट्टो के पति आसिफ अली जरदारी ने संभाला.
मुशर्रफ 1999 में तख्तापलट के जरिए सत्ता में आए. लेकिन अब मुशर्रफ कह रहे हैं कि देश में एक और तख्तापलट का खतरा पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जरदारी आतंकवाद, खराब अर्थव्यवस्था और बाढ़ जैसी मुश्किलें झेल रहे हैं और उनकी सरकार को तख्तापलट के जरिए हटाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सेना को देश की डांवाडोल राजनीति में एक संवैधानिक भूमिका दी जानी चाहिए. उन्होंने साफ कहा कि देश में अपनी सरकार से परेशान लोगों को अब सेना के रूप में ही एक रास्ता नजर आ रहा रहा है. उन्होंने कहा, "हम पाकिस्तान को टूटने नहीं दे सकते. कोई पाकिस्तानी इसकी इजाजत नहीं देगा. कोई पाकिस्तानी ऐसा नहीं चाहता. तब कौन उन्हें बचाएगा. बेशक सेना ऐसा कर सकती है. और कोई ऐसा नहीं कर सकता."
लेकिन पाकिस्तान में लोग मुशर्रफ की योजनाओं से ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते. डॉयचे वेले से बातचीत में राजनीति विश्लेषक शफकात महमूद ने कहा कि वह देश में अब भी उतने ही अलोकप्रिय हैं जितने यहां से जाते वक्त थे. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि वह राजनीतिक पार्टी क्यों बना रहे हैं या क्यों वापस आना चाहते हैं जबकि यहां उनके लिए यहां कोई राजनीतिक आधार नहीं है. उनके लिए यहां उपलब्ध मौकों की बात की जाए तो वह जीरो फीसदी से भी कम हैं." पाकिस्तान के जाने माने पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नजम सेठी भी मानते हैं कि मुशर्रफ की नई पार्टी के लिए बहुत सारी मुश्किलें हैं. वह कहते हैं, "मुशर्रफ के पास जनाधार तो है लेकिन मीडिया और न्यायपालिका उनके खिलाफ हैं इसलिए फिलहाल तो उनके लिए कोई संभावना नहीं दिखती."
आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि विद्रोहियों को हराया जा सकता है. हालांकि मुशर्रफ ने कहा कि अफगानिस्तान से पश्चिमी देशों की सेना की वापसी की योजना खतरनाक साबित हो सकती है क्योंकि इससे तालिबान के हौसले बढ़ेंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार