बहरीन में अरब सैनिकों की तैनाती
१४ मार्च २०११ये सैनिक प्रदर्शनकारियों से निबटने में बहरीन सरकार की मदद करने के लिए यहां आए हैं. पिछले सप्ताह के आखिरी दिनों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं इसके बाद स्थिति की संभालने के लिए इन सैनिकों को बुलाया गया है. नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक सैन्य अधिकारी ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि खाड़ी सहयोग परिषद, जीसीसी में शामिल कई देशों के सैनिकों को बहरीन भेजा गया है. छह सदस्य देशों वाले जीसीसी में बहरीन, सउदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान शामिल हैं.
इस बीच ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने खबर दी है कि सउदी नैशनल गार्ड बहरीन पहुंचने के लिए तैयार है. इसके बाद ब्रिटेन ने बहरीन में मौजूद अपने नागरिकों को घर से बाहर न निकलने की चेतावनी दी है. हालांकि चश्मदीदों के मुताबिक राजधानी मनामा में सोमवार को कोई विदेशी सैनिक दिखाई नहीं पड़ा. बहरीन की समाजार एजेंसी के मुताबिक कई सांसदों ने बहरीन के सुल्तान से सोमवार को मार्शल लॉ लगाने की मांग की है, जिसका मतलब है कि सेना शहरों पर नियंत्रण रखेगी और वहां कर्फ्यू जैसे हालात रहेंगे. रविवार और शनिवार को प्रदर्शनकारियों से हुई झड़प में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए और वहां तनाव फैला हुआ है. 14 फरवरी से शुरू हुए विरोध प्ररदर्शनों के बाद अब तक सात प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है.
बहरीन में यह आशंका बढ़ती जा रही है कि संवैधानिक सुधारों और ज्यादा अधिकार की मांग कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन अलग अलग गुटों के बीच संघर्ष का रूप ले लेंगे. देश की बहुसंख्यक शिया आबादी सत्ताधारी सुन्नी अल्पसंख्यकों से टकरा रही है. सउदी अरब और कुवैत जैसे पड़ोसी मुल्क भी बहरीन के प्रदर्शनों से चिंतित हैं क्योंकि इन देशों में छोटी ही सही, लेकिन शिया समुदाय की प्रभावशाली आबादी है. शिया नेतृत्व वाला देश ईरान पहले से ही खाड़ी के देशों के साथ टकराव की मुद्रा में है. जीसीसी के महासचिव अब्दुलरहमान बिन हमाद अल अतिया ने कहा है कि परिषद ने खाड़ी देशों के अंदरूनी मामले में किसी भी बाहरी दखलंदाजी को खारिज कर दिया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एमजी