बिहार में वर्चुअल अखाड़े में होगा चुनावी दंगल
११ सितम्बर २०२०बिहार में इस बार जब चुनाव होंगे तो उससे पहले न तो दीवारें पोस्टर से पटी होंगी और न ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता कोरोना प्रोटोकॉल के कारण चुनाव प्रचार के दौरान न तो हेलीकॉप्टर के शोर सुनाई देंगे, न रैली-जनसभाएं होंगी और न ही रोड शो. कोरोना की वजह से बदली परिस्थिति में तमाम बंदिशों के कारण प्रत्याशियों को शक्ति प्रदर्शन का मौका भी नहीं मिल सकेगा.
सोशल मीडिया की होगी बड़ी भूमिका
प्रचार के पुराने तरीके से इतर सभी पार्टियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ही आना होगा. सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वाट्सऐप इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे. भाजपा ने तो सात जुलाई को ही अमित शाह की वर्चुअल रैली कर ताल ठोक दी थी. इसके लिए पार्टी पहले से तैयारी भी कर रही थी. जनता दल यू भी कमोबेश तैयार हो रहा था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ संगठन की बैठक वर्चुअल मोड में ही कर रहे थे.
लेकिन कोरोना काल में चुनाव का विरोध कर रही कांग्रेस व राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों ने भी अब अपने को तैयार कर लिया है. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस पर तंज भी कसा. अपने ट्वीट में वे कहते हैं, "सात जुलाई को जब अमित शाह की वर्चुअल रैली थी तब राजद-कांग्रेस ने खूब छाती पीटी थी. अब राजद वर्चुअल रैली का समर्थक कैसे हो गया. साठ दिन बाद कांग्रेस को भी समझ में आ गया कि कोरोना काल में जनता से संवाद का माध्यम वर्चुअल ही हो सकता है.”
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आईं पार्टियां
सभी बड़ी पार्टियां अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ गईं हैं. हां, क्षेत्रीय व छोटे दल परेशान जरूर हैं कि वे उनसे मुकाबला कैसे करेंगे. सभी दलों के वॉर रूम भी लगभग तैयार हैं. आइटी प्रोफेशनल्स की टीम पार्टियों के साथ काम कर रहीं हैं. वर्चुअल अखाड़े में जोर-आजमाइश करने उतरीं राज्य की प्रमुख पार्टियों ने बेहतर तकनीक का सहारा लिया है. भाजपा की कमान दस हजार डिजिटल वर्करों के हाथों में सौंप दी गई है. बिहार में भाजपा ने संगठनात्मक तौर पर लगभग 5500 मंडल, 9500 शक्ति केंद्र और 72000 बूथ बनाए हैं. प्रत्येक शक्ति केंद्र में छह से सात बूथ होते हैं. सभी स्तर पर वाट्सऐप ग्रुप बनाए हैं. हरेक वाट्सऐप ग्रुप में 250 से ज्यादा लोग जोड़े जा सकते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में 25 हजार एवं शहरी क्षेत्रों में एक लाख लोगों को सोशल मीडिया से जोड़ने का लक्ष्य पार्टी ने रखा है.
इसके साथ ही फेसबुक, इंस्टाग्राम पर भी ग्रुप बनाना तय किया गया है. ऐसी तैयारी की गई है कि एक बटन क्लिक करने पर पार्टी दो करोड़ लोगों से सीधे कनेक्ट हो सकती है. इसके अलावा 150 डिजिटल रथ तैयार किए गए हैं ताकि ई-रैली का संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके. इन रथों पर एक बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई है जिसके जरिए लोग वर्चुअल रैलियों का लाइव प्रसारण देख सकेंगे. इसके अलावा ‘कमल कनेक्ट' ऐप के जरिए भी लोगों को जोड़ने का काम चल रहा है. यह ऐप इंटरनेट की कम स्पीड में बेहतर काम करता है.
बिहार की पार्टियां जदयू और राजद
नीतीश कुमार की जनता दल यू ने भी अपनी वेबसाइट जेडीयू लाइव डॉट कॉम लॉन्च कर दी है. संगठन को मजबूत करने में जुटी इस पार्टी ने पहले से ही सभी विधानसभा क्षेत्रों में वाट्सऐप ग्रुप बना रखे हैं. काफी दिनों से जदयू फेसबुक पर संडे संवाद कर रही है जबकि हर रविवार को वाट्सऐप पर ‘बिहार के नाम, नीतीश के काम' नाम का न्यूज लेटर फ्लैश किया जाता है. राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा कहते हैं, "जदयू देश की ऐसी पहली पार्टी है, जिसका खुद का डिजिटल प्लेटफॉर्म है. उसे गूगल या जूम ऐप का सहारा नहीं लेना पड़ेगा.”
परंपरागत वोटिंग की वकालत करने वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी पटना स्थित कार्यालय में एक बार में दस लाख लोगों से जुड़ने की व्यवस्था कर रखी है. 10, सर्कुलर रोड में राजद का वॉर रूम काम भी कर रहा है. तेजस्वी फेसबुक लाइव पर भी कार्यकर्ताओं से जुड़ रहे हैं. एक वॉर रूम बनाकर सोशल मीडिया कैंपेन व डिजिटल सदस्यता अभियान का काम हो रहा है. जिला से प्रखंड स्तर पर राजद से जुड़े कार्यकर्ताओं को डिजिटल तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पहली बार पंचायत स्तर तक मीडिया प्रभारी बनाने की कवायद चल रही है. हाल के कुछ दिनों से लालू प्रसाद, राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विशेष रूप से सक्रिय हैं.
भाकपा माले भी पचास हजार वाट्सऐप ग्रुप तैयार कर चुकी है. हरेक ग्रुप में करीब सौ-सौ लोग हैं. फेसबुक पर भी पार्टी सक्रिय है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा का वॉर रूम भी बनकर तैयार है जिसे दिल्ली व पटना के आइटी प्रोफेशनल्स संभाल रहे हैं, जबकि महागठबंधन का एक और घटक विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) की सोशल मीडिया हैंडल करने के लिए पचास से ज्यादा प्रोफेशनल्स काम क रहे हैं. बिहार में करीब 6.2 करोड़ मोबाइल यूजर हैं जबकि करीब डेढ़ करोड़ से अधिक फेसबुक प्रोफाइल है.
लोगों से सीधा संवाद कर रहे पीएम मोदी
सात सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘निश्चय संवाद' नामक वर्चुअल रैली हुई तो उसी दिन कांग्रेस ने भी अपनी रैली की. इसके बाद फिर दस सितंबर को वर्चुअल रैली कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी माहौल गर्मा दिया. मोदी ने युवाओं, पशुपालकों व किसानों को केंद्र में रख पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत बिहार को 294 करोड़ की योजनाओं की सौगात दी. चुनाव के मद्देनजर इन योजनाओं के जरिए पीएम का साफ संदेश था कि युवा ही आत्मनिर्भर बिहार बना सकते हैं. इससे मछली का निर्यात दोगुना तो होगा ही, रोजगार के अवसर सृजित होंगे तथा किसानों-पशुपालकों की भी आय बढ़ेगी. 10 से 23 सितंबर के बीच प्रधानमंत्री की छह वर्चुअल रैलियां होनी हैं. भाजपा मुख्य रूप से युवा, किसान तथा महिलाओं पर फोकस कर रही है. मोदी ने अपनी रैली के दौरान उन युवाओं से भी इंटरेक्ट किया जिन्होंने स्वावलंबन की दिशा में सरकारी योजनाओं की मदद लेकर बेहतर किया था. जाहिर है लोगों से सीधे संवाद का फायदा तो एनडीए को मिलेगा ही.
नीतीश कुमार ने पार्टी की वेबसाइट, फेसबुक, ट्विटर के जरिए ‘निश्चय संवाद' में लोगों को संबोधित किया. उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं. जनता को लालू के लालटेन युग व शासन काल की त्रासदियों की याद दिलाते हुए घोषणाओं की बौछार कर दी. बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा बार-बार निशाने पर लिए जाने के कारण उन्होंने भारी संख्या में नौकरी की घोषणा की. कोरोना से निपटने के सरकारी उपायों को भी सराहा तथा तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या की भी चर्चा की. दरअसल, ऐश्वर्या के साथ हुए व्यवहार की चर्चा कर वे लोगों को यह संदेश देना चाह रहे थे कि राजद महिलाओं को सम्मान नहीं देना जानता. जब अपने घर में यह हाल है तो और लोगों के साथ क्या व्यवहार होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है.
कांग्रेस ने भी की वर्चुअल तैयारी
कांग्रेस ने भी सात सितंबर को ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण से चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया. रैली के दौरान पार्टी के नेता लगातार नीतीश कुमार पर हमले करते रहे तथा महागठबंधन को धोखा देने के लिए उनकी जमकर आलोचना की ताकि उन्हें मतदाताओं के बीच सिद्धांतविहीन राजनीतिज्ञ के रूप में पेश किया जा सके. पार्टी ने अपनी वर्चुअल रैली को ‘बिहार क्रांति महासभा' की संज्ञा दी है. पहले चरण में कांग्रेस सात से 16 सितंबर तक राज्य के 19 जिलों में 84 रैलियां करेगी. जदयू द्वारा एलईडी युग में लालटेन युग को भूलने की बात कहने पर राजद ने भी तंज कसते हुए पूछा, मिसाइल युग में आखिर तीर का क्या काम है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "लालटेन की बात उठाएंगे लेकिन बेरोजगारी की चर्चा नहीं करेंगे.” बेरोजगार मित्रों के साथ खड़े होने की बात कह राज्यभर में बुधवार की रात नौ बजे लालटेन जला कर सांकेतिक विरोध दर्ज कराने का आह्वान भी किया. दरअसल, मां राबड़ी देवी, भाई तेजप्रताप यादव के साथ तेजस्वी ने लालटेन जलाकर सही मायने में अपने वोटरों को पार्टी के चुनाव चिन्ह की याद ताजा कर दी.
चुनाव परिणाम अपने पक्ष में करने के लिए पार्टियों का आरोप-प्रत्यारोप पूरी रौ में है. लेकिन कहीं न कहीं उन्हें भी इस बात का एहसास है कि यह कवायद तो उनलोगों तक ही उनकी बात पहुंचा पाएगी जो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. वोटरों की एक बड़ी जमात स्मार्ट फोन से दूर है तो ऐसे में उनके पास पहुंचना तो डोर-टू-डोर कैंपेन से ही संभव हो सकेगा. तभी तो बिहार के चुनाव प्रभारी व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देंवेंद्र फडनवीस कहते हैं, "इसमें कोई शक नहीं कि राज्य के बड़े हिस्से में कोरोना व बाढ़ की वजह से स्थिति चुनौतीपूर्ण है. किंतु चुनौतियां ही हमें कठोर बनातीं हैं, हम लोगों के पास भी जाएंगे.” लेकिन कोरोना काल में लोगों तक पहुंचना सभी पार्टियों के लिए दुरूह कार्य ही साबित होगा.
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore