भारतीय फुटबॉल का लक्ष्य 2022
११ फ़रवरी २०१४भारतीय फुटबॉल फेडरेशन ने इसके लिए "लक्ष्य 2022" का मिशन तैयार किया है. लक्ष्य साफ हैः कतर में होने वाले वर्ल्ड कप में हिस्सा लेना. भारतीय फुटबॉल के प्रमुख प्रफुल्ल पटेल का कहना है, "हमें इस बात को सुनिश्चित करना है कि फुटबॉल भारत का सबसे बड़ा खेल हो और उसके लिए सही प्लेटफॉर्म बना दिया गया है."
हालांकि उनकी यह बात क्रिकेट की दीवानगी के आगे बहुत मायने नहीं रखती. भले ही भारत में करोड़ों लोग फुटबॉल को पसंद करते हों लेकिन उनकी संख्या निश्चित तौर पर क्रिकेट चाहने वालों से कम होगी. और फुटबॉल चाहने वाले भी ब्रिटेन के इंग्लिश प्रीमियर लीग और यूरोपीय फुटबॉल तक ही सीमित रहते हैं.
फीफा के अध्यक्ष सेप ब्लाटर ने एक बार भारत को फुटबॉल की "सोई हुई महाशक्ति" बताया था. उन्होंने सरकार से अपील की कि इस खेल के लिए भूमि और इमारत बनाने के लिए पैसे खर्च किए जाने चाहिए. बॉब हॉटन जब भारत के कोच हुआ करते थे, तो उनका कहना था कि इस खेल के लिए भारत में किसी को चिंता नहीं हैं और उनके मुताबिक इस महाशक्ति को सोते से उठाने में काफी समय लगेगा.
घरेलू फुटबॉल की हालत
भारत में घरेलू फुटबॉल के लिए आईलीग फुटबॉल भी है लेकिन क्रिकेट के आईपीएल के सामने इसकी कोई पहचान नहीं. हालांकि फुटबॉल के लिए आईएमजी रिलायंस ने 14 करोड़ डॉलर की राशि दी है. अगर कमाई की बात की जाए, तो इसमें खेलने वाले फुटबॉलरों को मुश्किल से हर सीजन एक डेढ़ लाख डॉलर मिलते हैं, जो आईपीएल के खिलाड़ियों की कमाई के सामने कुछ नहीं है.
हालांकि आईलीग में विदेशी खिलाड़ी भी शामिल हैं लेकिन बुनियादी स्तर पर इससे कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ा है. अगले साल आईपीएल की तर्ज पर फुटबॉल लीग भी शुरू होने वाली है लेकिन इसकी कामयाबी को लेकर भी शंका जताई जा रही है. हालांकि सुविधाएं धीरे धीरे बेहतर हो रही हैं. कॉमनवेल्थ खेलों के लिए दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को दोबारा तैयार किया गया था. इसके अलावा कोलकाता का सॉल्ट लेक स्टेडियम और चेन्नई का जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम भी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल करा सकते हैं. लेकिन भारत को इससे बड़े और ज्यादा क्षमता वाले स्टेडियमों की जरूरत है.
भारत को निर्देश
फीफा की एक टीम अगले हफ्ते भारत का दौरा करने वाली है, जो सभी स्टेडियमों का दौरा करेगी. वह आयोजकों को निर्देश देगी कि 2017 विश्व कप से पहले किन बदलावों की जरूरत है. फीफा की तालिका में भारत 156वें नंबर पर है. किसी जमाने में भारत की स्थिति अच्छी थी. उसे 1950 के विश्व कप के लिए निमंत्रण मिला था लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हो पाया था. क्रिकेट से पहले 1950 और 1960 के दशक में एशिया और भारत में फुटबॉल काफी लोकप्रिय खेल था. भारत ने एशियाई खेल में 1962 का गोल्ड मेडल जीता. लेकिन इसके बाद भारत में फुटबॉल कोई खास स्थान नहीं बना पाया.
भारत के पूर्व फुटबॉल कप्तान बाइचुंग भूटिया आज भी भारतीय फुटबॉल के इकलौते पहचाने जाने वाले चेहरे हैं. उन्हें इस बात की खुशी है कि भारत में अंडर 17 विश्व कप हो रहा है, "मुझे लगता है कि युवाओं की इसमें खास रुचि होगी."
एजेए/एमजे (एपी)