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भारत को चीन की धमकी

१ सितम्बर २०२०

लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच ताजा तनाव के एक दिन बाद चीन की सत्तारूढ़ पार्टी के मुखपत्र ने भारत को धमकी दी है कि चीन की सेना अगर चाहे तो वो भारत की सेना का पहले से भी ज्यादा नुकसान कर सकती है.

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Konflikt China Indien | Ganderbal-Grenze
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press/I. Abbas

भारतीय सेना ने सोमवार को कहा था कि रविवार को पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना ने भड़काऊ सैन्य गतिविधि की थी लेकिन भारतीय सेना ने चीनी सेना के इरादों को विफल कर दिया. इसके जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार नहीं किया था. इसके बाद चीन के सैन्य प्रवक्ता ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने रेखा पार की है और भारत से मांग की थी की वो अपने सैनिकों को पीछे खींच ले.

अब ग्लोबल टाइम्स अखबार ने एक संपादकीय के जरिए कहा है, "भारत का कहना है कि उसने चीनी गतिविधि का अंदेशा लगाते गए कदम उठाए...इससे साफ जाहिर होता है कि हानिकारक कदम पहले भारतीय सेना ने उठाए और इस बार गतिरोध को भारतीय सैनिकों ने शुरू किया."

अखबार ने आगे कहा कि भारत का सामना एक "ताकतवर चीन" से है और नई दिल्ली को इस मुद्दे पर अमेरिका से समर्थन मिलने का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. अखबार ने यह धमकी भी दी, "लेकिन अगर भारत प्रतिस्पर्धा करना चाह रहा है, तो चीन के पास उससे ज्यादा साधन और क्षमता है. अगर भारत एक सैन्य मुठभेड़ चाहता है, तो पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) भारतीय सेना का 1962 में जितना नुकसान हुआ था, उससे ज्यादा नुकसान करने पर मजबूर हो जाएगी."

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तीन जुलाई को लदाख में हालात का जायजा लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद लद्दाख गए थे.तस्वीर: Reuters/Press information Bureau

दोनों सेनाओं के बीच लद्दाख में कई स्थानों पर महीनों से तनाव बना हुआ है और दोनों सेनाएं एक दूसरे के सामने तनी हुई हैं. जून में गलवान घाटी में दोनों के बीच हुई एक हिंसक मुठभेड़ में कम से कम 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे. उसके बाद से दोनों सेनाओं ने कई बार तनाव को कम करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है. सोमवार को भारतीय सेना ने चीनी सेना पर इसी सहमति के उल्लंघन का आरोप लगाया.

भारतीय मीडिया में आई खबरों के अनुसार रविवार को चीनी सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर अतिक्रमण की कोशिश कर तनाव का एक नया मोर्चा खोलने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने चीनियों के प्रयास को विफल कर दिया. सोमवार को स्थिति को शांत करने के लिए दोनों सेनाओं के बीच चुशुल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत भी हुई. खबर है कि लद्दाख-श्रीनगर राज्यमार्ग पर आम लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई है.

समीक्षक हालात को अत्यंत चिंताजनक और खतरनाक बता रहे हैं और कई तरह की संभावनाएं व्यक्त कर रहे हैं. भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्नल और रक्षा मामलों के जानकार अजय शुक्ला ने ट्विट्टर पर लिखा कि भारत में चिंता यह है कि पीएलए पैंगोंग की तरफ भारतीय सेना का सिर्फ ध्यान भटका रही है, जब कि उसका असली लक्ष्य डेपसांग की तराई में वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलना है.

वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिंह ने ट्विट्टर पर लिखा कि संभव है कि भविष्य में चीनी सेना डेपसांग और चुमार में भी इस तरह की गतिविधि की कोशिश करे और ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच कोई भी गलतफहमी या गलत अंदेशा हुआ तो उसके बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बहुत जल्दी बढ़ सकता है.

सुशांत ने यह भी लिखा कि इसका मतलब यह है कि अब सिर्फ कुछ स्थान ही नहीं बल्कि पूरे लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन सैन्य गतिविधि कर सकता है और तनाव के मोर्चों का यह विस्तार जोखिम भरा है.

(रॉयटर्स से इनपुट के साथ)

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