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भारत ने हमला किया तो देंगे करारा जबावः जरदारी

१ दिसम्बर २०१०

मुंबई हमलों के बाद तनावपूर्ण माहौल में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अमेरिका से कहा कि भारत ने हमला किया तो पाकिस्तान के पास उसका जवाब देने के सिवा कोई रास्ता नहीं है. विकीलीक्स के दस्तावेजों से खुलासा हुआ.

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जरदारी का जवाबतस्वीर: AP

2 जनवरी 2009 को पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ऐन पैटरसन से मुलाकात में जरदारी ने यह भी भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार गैर सरकारी तत्वों को देश की नीति तय नहीं करने देगी. पैटरसन ने मुंबई हमलों की जांच के सिलसिले में जरदारी से मुलाकात की. इसमें जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी सूरत में भारत को हमला नहीं करने देगा.

विकीलीक्स की ओर से जारी अमेरिकी केबल संदेश में कहा गया है, "जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान में राजनीतिक रूप से कश्मीर से ज्यादा संवेदनशील कोई मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा (आईएसआई के प्रमुख) ने उन्हें डीसीआईए (डायरेक्टर ऑफ द सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी) के साथ हुई अपनी मुलाकात की जानकारी दी है. जरदारी ने कहा कि उन्हें फैसले लेने में कोई दिक्कत नहीं है. हमने शांति समझौतों की खातिर उनसे हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा न करने को कहा जबकि सेना और आईएसआई इसके लिए दबाव बना रहे थे. लेकिन उन्होंने कहा कि भारत को किसी भी सूरत में हमला नहीं करने दिया जाएगा. पश्चिमी जगत में बहुत से लोग नहीं समझते हैं कि पाकिस्तान की जनता के लिए कश्मीर कितनी अहमियत रखता है." इस अमेरिकी केबल संदेश पर पैटरसन के हस्तक्षरों के साथ 5 जनवरी 2009 की तारीख लिखी है.

जरदारी ने इस मुलाकात के आखिर में कहा कि पाकिस्तान गैर सरकारी तत्वों को देश की नीति तय करने की अनुमति किसी हालत में नहीं देगा. लेकिन अगर भारत की तरफ से कोई हमला हुआ तो पाकिस्तान सरकार उसका जबाव देगी. जरदारी ने भारत को लेकर एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया जिसके मुताबिक भारत में मुसलमानों के साथ सही व्यवहार नहीं हो रहा है और वह समाज के सबसे कम समृद्ध तबके का हिस्सा हैं. केबल संदेश के मुताबिक, "उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मुसलमान विरोधी भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कई सारे चरमपंथी गुट है जो लश्कर-ए-तैयबा की मदद कर रहे हैं."

रिपोर्ट: एजेंसियां/ए कुमार

संपादन: महेश झा

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