मोटा नहीं करतीं गर्भनिरोधक गोलियां
२७ जनवरी २०१३कई महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल से बचती हैं ताकि वे मोटी ना हो जाएं. जर्मनी के कोलोन शहर में हुई रिसर्च उनके लिए खुशखबरी ले कर आई है. यह रिसर्च इंटरनेशनल साइंटिफिक नेटवर्क कोक्रेन कोलैबोरेशन ने की है जो कि एक गैर सरकारी संस्था है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हो सकता है कि किसी महिला के शरीर पर इन दवाओं का प्रभाव अलग हो और उसका वजन बढ़ने लगे, लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता. इसलिए यह कहना गलत होगा कि सामान्य रूप से गोलियां लेने पर वजन बढ़ने लगता है. संस्था ने अलग अलग तरह की गर्भनिरोधक गोलियों और उन पर हो चुकी रिसर्च का आकलन किया है और कहा है कि यदि यह धारणा सही होती तो रिसर्च के दौरान इसकी पुष्टि हो जाती, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है.
साथ ही यह सलाह भी दी गयी है कि यदि आपको ऐसा लगे कि गोलियां लेने के बाद से आपका वजन बढ़ने लगा है तो आप को फौरन डॉक्टर से मिलना चाहिए. इन गोलियों में हार्मोन होते हैं. हालांकि कई सालों के अनुसंधान के बाद इन गोलियों में बहुत बेहतरी की जा चुकी है, लेकिन कुछ महिलाओं पर इनका दूसरा असर भी देखा जाता है. हाल ही में फ्रांस में एक महिला ने इस बात की शिकायत की है कि उसे गर्भनिरोधक गोलियों के कारण स्ट्रोक हुआ और लकवा मार गया. इस महिला ने जर्मनी की मशहूर दवा बनाने वाली कंपनी बायर पर मुकदमा किया है. इस मामले के बाद से फ्रांस में गर्भनिरोधक गोलियों की बिक्री पर नए नियम बनाए जा रहे हैं.
दरअसल गर्भनिरोधक गोलियों की शुरुआत 60 के दशक में हुई. पहली जेनरेशन की गोलियों से महिलाओं में कई तरह के साइड इफेक्ट देखे गए थे. इन्हीं को सुधारने के लिए धीरे धीरे इनमें बदलाव किए गए और दूसरी, तीसरी और चौथी जेनरेशन की गोलियां बनाई गयी. इन दिनों बाजार में 'थर्ड' और 'फोर्थ' जेनरेशन की गोलियां भी उपलब्ध हैं. लेकिन अब माना जा रहा है कि तीसरी और चौथी पीढ़ी की ये गोलियां एक बार फिर सेहत पर बुरा असर डाल रही हैं.
महिलाओं में खून का थक्का जमना इसका एक आम साइड इफेक्ट है. कई महिलाओं में दिमाग पर बुरे असर की भी खबर है जैसा कि फ्रांस की महिला के साथ हुआ. यूरोपियन मेडिसंस एजेंसी ने भी नई दवाओं के खतरे की पुष्टि की है. ये नई दवाएं अमेरिका और यूरोप में ज्यादा बिक रही हैं. हालांकि भारत में अब भी दूसरी पीढ़ी की दवाओं का इस्तेमाल ज्यादा किया जा रहा है. इसलिए आप इनके सेवन से पहले अपने डॉक्टर से जरूर मिलें और इनके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें.
आईबी/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स)