रूस भी बोला, गद्दी छोड़ें गद्दाफी
२८ मई २०११रूस अब तक लीबिया में नाटो के हमलों की आलोचना करता रहा है. यह कार्रवाई शुरू तो संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक आम लोगों की रक्षा के लिए हुई थी लेकिन अब यह 41 साल से सत्ता में मौजूद गद्दाफी को हटाने के लिए जूझ रहे लीबियाई विद्रोहियों की जद्दोजहद का हिस्सा दिखती है. रूस के बदले हुए रुख से पश्चिमी देशों को सहारा मिला है.
नाटो ने कहा कि वह पहली बार लीबिया पर हमले के लिए हेलिकॉप्टर तैनात कर रहा है ताकि जमीन पर गद्दाफी की सेनाओं पर दबाव बढाया जा सके. लेकिन गद्दाफी की सेना भी बराबर अपनी ताकत साबित कर रही है. उन्होंने रात में विद्रोहियों के कब्जे वाले जिनतान कस्बे में रॉकेट दागे हैं. मिसराता के बाहरी इलाकों में वे विद्रोहियों से जम कर लोहा ले रहे हैं.
रूस ने मध्यस्थता की पेशकश फ्रांस के शहर डोविल में जी8 देशों की बैठक में की. रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ लीबिया की स्थिति पर चर्चा की. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि गद्दाफी को अब सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है. उनके मुताबिक, "विश्व समुदाय उन्हें लीबिया के नेता के तौर पर नहीं देखता." मेद्वेदेव ने कहा कि वह अपना एक प्रतिनिधि बेनगाजी भेज रहे हैं जो विद्रोहियों से बात करेगा. उन्होंने गद्दाफी को सत्ता से हटाने की योजना भी पेश की.
उधर राजधानी त्रिपोली में लीबिया के विदेश उप मंत्री खालेद कैम ने कहा कि उन्हें रूस के रुख के बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है. उनके मुताबिक, "लीबिया के राजनीतिक भविष्य पर लिए जाने वाले किसी भी फैसला का संबंध लीबिया लोगों से है, कहीं और से नहीं."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम