लीबिया पर यूरोपीय संघ ने पाबंदी लगाई
२८ फ़रवरी २०११27 यूरोपीय देशों ने कर्नल गद्दाफी, उनके परिवार और सरकार की संपत्ति को जब्त करने के अलावा, लीबिया को आंसू गैस और दंगा निरोधी उपकरण जैसे सामान बेचने पर पाबंदी लगा दी है. कर्नल गद्दाफी के वफादार सुरक्षा बलों ने इनका इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर किया है. ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के ऊर्जा मंत्रियों की एक बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई.
यूरोपीय देशों ने कर्नल गद्दाफी से सत्ता छोड़ने की अपील की है. गद्दाफी पिछले चार दशकों से लीबिया के नेता हैं लेकिन इस बार उन्हें अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है.
लीबिया के कई इलाके अब प्रदर्शनकारियों के कब्जे में आ चुके हैं. सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनों को तोड़ने के लिए बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया है जिसकी कड़े शब्दों में निंदा की गई है. ऐसी आशंका है कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई में दो हजार लोग मारे गए हैं.
हंगरी के विकास मंत्री टमास फेलेगी का कहना है कि यूरोपीय संघ में शामिल 27 देशों ने लीबिया के खिलाफ पाबंदियों को औपचारिक मंजूरी दे दी है. इनमें गद्दाफी के यात्रा करने और संपत्ति को जब्त करने की बात कही गई है. हंगरी यूरोपीय संघ का मौजूदा अध्यक्ष देश है.
फेलेगी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि यूएन लिस्ट में शामिल 16 लोगों के अलावा 10 और लोगों पर वीजा पाबंदियां लगाई गई हैं. गद्दाफी और उनके पांच परिवारजनों के अलावा 20 अन्य लोगों को भी पाबंदियों के दायरे में लाया गया है. यूरोपीय संघ के आधिकारिक जर्नल में इस घोषणा के छपने के बाद यह पाबंदियां प्रभावी हो जाएंगी.
यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन एश्टन अंतरराष्ट्रीय मुहिम के तहत अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन, यूरोपीय विदेश मंत्रियों, अरब और अफ्रीकी जगत के नेताओं से मिल रही हैं. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने क्लिंटन से मिलने के बाद कहा है कि वह लीबिया को दी जाने वाले वित्तीय भुगतान को अगले दो महीनों के लिए रोक रहे हैं.
गद्दाफी के वफादार सुरक्षा बलों ने देश में विद्रोह को दबाने की कोशिश की है लेकिन अब तक वह विफल रहे हैं. लीबिया के कई इलाके अब प्रदर्शनकारियों के नियंत्रण में आ चुके हैं. पूर्वी इलाकों से वह नियंत्रण खो चुके हैं और अब राजधानी त्रिपोली के आस पास के इलाके पर नियंत्रण के लिए संघर्ष होने की रिपोर्टें हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: मानसी गोपालकृष्णन