वापस नहीं होंगी तेल की बढ़ी कीमतें: प्रणब
२२ मई २०११मुखर्जी ने माना कि महंगाई का असर मीडियम टर्म में आर्थिक विकास की रफ्तार पर पड़ सकता है, इसलिए सरकार को वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का अंदाजा लगाने से पहले अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर नजर रखनी होगी. 2011-12 के बजट में वित्त मंत्री ने 9 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान जाहिर किया है.
गुंजाइश ही नहीं
मुखर्जी ने कहा कि पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी वापस लेने की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि सरकार पर पहले ही तेल सब्सिडी का बोझ है. सरकार डीजल पर 16 और केरोसीन पर 26 रुपये प्रति लीटर और एलपीजी के 14 किलोग्राम के सिलेंडर पर 320 रुपये की सब्सिडी देती है.
मुखर्जी ने कहा, "आज तक मैं सब्सिडी दे रहा हूं, इसलिए कीमतें वापस लेने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. पिछले साल लगभग एक लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई. इस साल पता नहीं कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें क्या रहेंगी."
महंगाई पर वादा नहीं
तेल कंपनियों ने बीते शनिवार पेट्रोल कीमतों में पांच रुपये की बढ़ोतरी की थी. यह अब तक एक साथ सबसे बड़ी बढ़ोतरी है. इसका असर महंगाई पर होना लाजमी है. हालांकि अप्रैल में मुद्रास्फीति पिछले महीने के 8.98 के स्तर से घटकर 8.66 फीसदी पर आ गई. लेकिन यह स्तर भी सामान्य से बहुत ऊंचा है.
भारत सरकार मान रही है कि महंगाई का दबाव आगे भी बना रहेगा. प्रणब मुखर्जी ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतें अनिश्चित बनी हुई हैं. ऐसा खासतौर पर उन चीजों के साथ हो रहा है जो हमें आयात करनी पड़ती हैं. तो लाजमी है कि इसका असर होगा." उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की दिशा या दबाव का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ईशा भाटिया