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सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप

चारु कार्तिकेय
१२ अगस्त २०२१

सरकार और विपक्ष के बीच संसद की कार्यवाही को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. सरकार का कहना है कि विपक्ष ने संसद का काम बाधित किया है, जबकि विपक्ष सरकार पर उसकी आवाज को दबाने का आरोप लगा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/STR

सरकार और विपक्ष के बीच लगातार बने रहे गतिरोध के बीच मानसून सत्र को समय से पहले समाप्त कर दिया गया है. हालांकि दोनों पक्षों के बीच झगड़ा अभी भी जारी है. दोनों सदनों में गतिरोध की वजह से संसद का समय नष्ट होने की खबरों के बीच विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार उसकी आवाज को दबा रही है.

विपक्षी पार्टियां विशेष रूप से 11 अगस्त को हुई राज्य सभा की कार्यवाही को लेकर उत्तेजित हैं. उनका आरोप है कि आम बीमा व्यापार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक को सेलेक्ट समिति में भेजने की विपक्ष की मांग को सरकार ने अनदेखा कर दिया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिल को जबरन पारित करवाने के लिए सदन में बड़ी संख्या में ना सिर्फ संसदीय सुरक्षाकर्मी बल्कि सुरक्षा सेवा से "बाहर के लोगों" को भी तैनात कर दिया गया.

सदन में मार्शल

इन कर्मियों की एक तस्वीर शिव सेना के सांसद संजय राउत ने ट्वीट की.

विपक्ष के कई सांसदों ने आरोप लगाया है कि इन मार्शलों ने महिला सांसदों के साथ भी धक्का मुक्की की. एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि उन्होंने 55 सालों के अपने संसदीय करियर में इस तरह सांसदों और विशेष रूप से महिला सांसदों पर हमला होते हुए नहीं देखा. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने एक तस्वीर ट्वीट कर बताया कि पुरुष सांसदों के आगे राज्य सभा के महिला कर्मचारियों और महिला सांसदों के आगे पुरुष मार्शलों को तैनात कर दिया गया था.

इसके ठीक उलट सरकार ने आरोप लगाया है कि विपक्ष के सांसदों ने सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्का मुक्की और मारपीट की. 12 अगस्त की सुबह इन घटनाओं के विरोध में विपक्षी पार्टियों ने संसद के बाहर विरोध यात्रा भी निकाली.

पीठासीन अधिकारियों की भूमिका

इसी बीच दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों ने इस सत्र के दौरान संसद में देखे गए दृश्यों पर खेद प्रकट किया. राज्य सभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा कि सांसदों का सदन के टेबल पर खड़े हो जाना "लोकतंत्र के मंदिर" का "अपवित्रीकरण" था. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि बार बार सदन की कार्रवाई बाधित होने से करदाताओं के करोड़ों रुपयों का नुकसान होता है. उन्होंने यह भी कहा कि इससे निपटने के लिए संसद के नियमों को बदलने की आवश्यकता है.

हालांकि विपक्ष ने पीठासीन अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया है. आरजेडी के सांसद मनोज झा ने बिल पर हो रहे विवाद के बीच में ही कहा कि सरकार जिस तरह से बिल को जबरन पारित करवा रही है ये लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने पीठासीन अधिकारी पर सवाल भी उठाया कि वो यह सब कैसे होने दे रहे हैं.

संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सदन सुचारू रूप से चलाना लोक सभा स्पीकर और राज्य सभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी है. उन्होंने दोनों पर सवाल उठाया कि वो ऐसा क्यों नहीं कर पाए हैं. विपक्ष का यह भी आरोप है कि लोक सभा टीवी और राज्य सभा टीवी पर भी सदन की असली तस्वीर नहीं दिखाई जा रही है और वही दिखाया जा रहा है जो सरकार के लिए सुविधाजनक है.

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