शांति वार्ता में भाग ले सीरियाई विपक्ष
१७ जनवरी २०१४अगले हफ्ते होने वाली वार्ता की तैयारी कर रही है सीरिया की सरकार ने स्थानीय संघर्षविराम और कैदियों की अदलाबदली का प्रस्ताव दिया है. सीरिया के विदेश मंत्री वलीद अल मुअल्लम ने मॉस्को के दौरे पर यह प्रस्ताव रूसी अधिकारियों को सौंपा रूस अगले हफ्ते हो रहे सम्मेलन का सह आयोजक है. सीरियाई विपक्ष ने इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उसके प्रतिनिधि इस्तांबुल में सम्मेलन में भागीदारी के सवाल पर चर्चा कर रहे हैं. अमेरिका की अपील के बावजूद इस में संदेह है.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने सीरिया के विपक्ष से शांति वार्ता में हिस्सा लेने का आग्रह किया है. जॉन केरी ने एक बयान में कहा, "यह शांति वार्ता एकमात्र तरीका है जिससे इस गृह युद्ध को खत्म किया जा सकता है जो कि इस धरती पर हो रही सबसे बड़ी मानव त्रासदी है और जिसने चरमपंथ के बीज बो दिए हैं." स्विट्जरलैंड में यह शांति वार्ता 22 जनवरी से शुरू होगी. सीरिया सरकार ने पहले ही इसमें हिस्सा लेने पर सहमति दे दी है.
शुक्रवार को रूस के साथ हुई बातचीत में सीरिया सरकार ने कहा कि वह विपक्ष के साथ कैदियों की अदला बदली के लिए भी तैयार है. राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने साथ ही अलेप्पो में युद्धविराम की बात भी कही है. सीरिया के विदेश मंत्री मुअल्लम ने कहा, "सीरिया इस कार्यक्रम को सफल बनाने की पूरी कोशिश करेगा और चाहेगा कि इस से सीरिया के लोगों के हित भी पूरे हों और राष्ट्रपति बशर अल असद के आदेशों का भी सम्मान किया जाए."
विपक्ष पर दबाव
जॉन केरी ने कहा है कि इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य देश में अंतरिम सरकार बनवाना है जिससे हर पक्ष सहमत हो, "यह जरूरी है कि सीरिया के लोग अपने देश का भविष्य निर्धारित कर सकें और उनकी आवाज सुनी जाए." अमेरिका और रूस 2012 के मध्य से यह कॉन्फ्रेंस कराने की कोशिश में लगे हैं. जेनेवा दो के नाम से होने जा रही शांति वार्ता के बारे में केरी ने कहा, "जेनेवा एक के अनुसार अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए आने वाले नामों पर विपक्ष और सरकार दोनों को सहमति दिखानी होगी. इसका मतलब यह हुआ कि यदि कोई भी पक्ष किसी भी व्यक्ति पर अस्वीकृति दिखाता है, चाहे वह राष्ट्रपति असद हों या फिर विपक्ष का कोई सदस्य, तो वह (देश के) भविष्य का हिस्सा नहीं हो सकता.
ब्रिटेन में मीडिया में ऐसी रिपोर्टें भी चल रही हैं कि अमेरिका और ब्रिटेन ने सीरिया के विपक्ष को इस बात की धमकी दी है कि अगर वे वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजेंगे तो उनसे समर्थन छीन लिया जाएगा. समाचार एजेंसी एएफपी ने एक अनजान सूत्र के हवाले से लिखा है, "वे इस बात को साफ करते जा रहे हैं कि अगर हमने उनकी बात नहीं मानी तो वे हमें वैसा समर्थन नहीं देंगे जैसा अब तक देते आए हैं और अगर हम वहां नहीं गए तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने हम अपनी विश्वसनीयता खो देंगे."
शरणार्थियों के लिए
इस बीच संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी मामलों के प्रमुख अंटोनियो गुटेरेस ने भी कहा है कि जेनेवा वार्ता में एक राजनीतिक नतीजे पर पहुंचना जरूरी है क्योंकि इससे उन देशों पर बोझ कम होगा जो सीरिया से हजारों शरणार्थियों को अपने यहां शरण दे रहे हैं. तुर्की में इस मामले पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह बात अस्वीकार्य है कि सीरिया के शरणार्थी कहीं डूब रहे हों, भूमध्यसागर में मर रहे हों या फिर किसी देश की सीमा पर पहुंच कर उन्हें लौटने पर मजबूर किया जा रहा हो." संयुक्त राष्ट्र ने इसी हफ्ते शरणार्थियों के लिए 6.5 अरब डॉलर की मदद का एलान किया है.
सीरिया में मार्च 2011 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. ब्रिटेन स्थित एक मानवाधिकार संस्था के अनुसार सीरिया में अब तक 1,30,000 लोगों की जान जा चुकी है. पिछले साल जुलाई में संयुक्त राष्ट्र ने भी एक लाख लोगों के मारे जाने की पुष्टि की और उसके बाद से गिनती बंद कर दी.
आईबी/एमजे (डीपीए,एएफपी)