सारायेवो विंटर ओलंपिक की विरासत
७ फ़रवरी २०१४म्यूजियम के क्यूरेटर एदिन नूमानकादिच ने कहा, "यह संकट में है, जैसे यहां की हर चीज संकट में है. पैसों की तंगी की वजह से दो साल पहले हमें राष्ट्रीय म्यूजियम बंद करना पड़ा. लेकिन हमने किसी तरह काम जारी रखा."
अंतरराष्ट्रीय कलाकार और राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सदस्य 65 साल के नूमानकादिच के पास कोई अच्छी खबर नहीं है. इस शहर ने 1984 में विंटर खेलों का आयोजन किया था. आठ साल बाद बमों की बारिश ने इसे बर्बाद कर दिया. यूगोस्लाविया टूट रहा था. उसके साथ बाल्कन ढह रहा था. बोस्निया के शहरों में कराहें उठ रही थीं. खेल भी टूट गया था. सर्बियाई सेना ने ओलंपिक समिति की इमारत को उड़ा दिया.
राख में छिपा सोना
नूमानकादिच कहते हैं, "हमने तो किसी चमत्कार की तरह इन चीजों को बचाया. जब आग पूरी तरह जल चुकी, तो मैंने देखा कि राख में एक स्वर्ण पदक छिपा है." म्यूजियम के माल को जीटा आइस रिंक के नीचे छिपाया गया, लेकिन वहां भी बमबारी हुई. शहर में इतने लोग मारे गए कि ओलंपिक परिसर के बगल में एक कब्रिस्तान बनाना पड़ा. अपनी हताशा को किसी तरह छिपाते हुए नूमानकादिच कहते हैं, "इस इलाके में अब सिर्फ वे खेल ही थे, जो अच्छी चीज थे."
सारायेवो ओलंपिक तब हुआ था, जब यह यूगोस्लाविया का हिस्सा था. एक कम्युनिस्ट देश. फिर भी यहां खेल अच्छे से संचालित हुए. किसी तरह की नाकामी नहीं हुई. खेलों की कुछ जगह तो एक दूसरे से 35 किलोमीटर दूर थी. लेकिन किसी को परेशानी नहीं हुई. शहर के आस पास की पहाड़ियों में बर्फ का पूरा इंतजाम था ताकि विंटर खेलों में बाधा न पहुंचे. प्रतीक चिह्न वुको भेड़िया को भले भुला दिया गया हो, लेकिन टेलीविजन पर सारायेवोओओओओ की आवाज अब भी लोगों को याद है. यह आवाज सारायेवो में पैदा हुए पॉप स्टार जदरावको कोलिच की थी.
उस खेल में कई लोग उभर कर सामने आए थे, जिनमें पूर्वी जर्मनी की स्केटर काटरीना विट भी थीं, जिन्होंने पहली बार अपना ओलंपिक गोल्ड यहीं जीता. पूरे 20 साल बाद वह जेट्रा रिंक का उद्घाटन करने सारायेवो पहुंचीं.
शानदार सारायेवो
आम तौर पर बोस्निया के वेटरों पर काफी सवाल उठते हैं लेकिन ओलंपिक 84 के दौरान उनका व्यवहार भी अच्छा था. अदाकार किर्क डगलस ने दावा किया था कि एक होटल में उनसे दसगुना पैसे ले लिए गए. इसके बाद उन्हें फौरन पैसा वापस किया गया और उस ठिकाने को बंद कर दिया गया. दुनिया भर ने उन खेलों की सराहना की थी.
लेकिन अब इस शहर में ओलंपिक के निशान मिट चुके हैं. उनकी जगह गोलियों से बिंधी घरों की दीवारें हैं, अंडरग्राउंड विस्फोट के खतरों के निशान हैं और जली हुई इमारतें हैं. ओलंपिक ने पर्यटन को बहुत बढ़ावा दिया था लेकिन अगले दशक के युद्ध ने सब कुछ छीन लिया. खेलों के प्रबंधन के लिए बनाई गई कंपनी दीवालिया हो गई.
हालांकि स्विट्जरलैंड ने बदलाव के लिए मदद का वादा किया. लेकिन किसी ने भी माउंट त्रेबेविच पर स्की जंपिंग की सुविधा को सुधारने का प्रयत्न नहीं किया. जिन पहाड़ियों ने कभी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की मेजबानी की थी, आज शांत सफेद बैठे हैं.
एजेए/आईबी (डीपीए)