ऑस्ट्रेलिया में भी हफ्ते में 4 दिन काम की शुरुआत
१४ जून २०२२अगस्त से कुछ ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां अपने कर्मचारियों को हफ्ते में तीन दिन की छुट्टी देंगी. यह योजना फिलहाल आजमाइश के आधार पर शुरू की जाएगी और देखा जाएगा कि काम कैसा चल पाता है. ट्रायल के दौरान कर्मचारियों को 80 प्रतिशत हाजरी के लिए 100 प्रतिशत तन्ख्वाह दी जाएगी. हालांकि यह सुनिश्चित करना होगा कि चार दिन में उतना ही काम हो, जितना पांच दिन में होता.
जिन कंपनियों ने ऑस्ट्रेलिया में चार दिन का सप्ताह करने का ऐलान किया है उनमें मेलबर्न स्थित ‘अवर कम्यूनिटी' नामक कंपनी भी है, जो एक प्रशिक्षण संस्थान है. यह बिना लाभ के काम करने वाली कंपनी है, जिसने छह महीने का ट्रायल शुरू किया है लेकिन उसका कहना है कि शुरुआती संकेतों से लगता है कि यह अब स्थायी हो जाएगा.
कंपनी के प्रबंध निदेशक डेनिस मोरियारटी ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार चैनल नाइन से कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने जिस तरह घर से काम किया उसके बाद यह कदम उठाने में कोई जोखिम नहीं था. उन्होंने कहा, "उन्होंने शानदार काम किया और हमारा धंधा खूब बढ़ा. उस वक्त हमने सोचा कि इन लोगों को बनाए रखने के लिए और बाकी देश से आगे बने रहने के लिए हमें कुछ तो करना चाहिए.”
छह महीने का ट्रायल
इस ट्रायल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की 20 कंपनियां शामिल हुई हैं, जो वित्त प्रबंधन से लेकर स्वास्थ्य, तकनीकी और निर्माण तक विभिन्न क्षेत्रों में काम करती हैं. ऑस्ट्रेलिया की फाइनैंस कंपनी ‘मोर दैन मॉर्टगेज', मार्किटिंग एजेंसी ‘द वॉक' और मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम करने वाली संस्था ‘मोमैंटम मेंटल हेल्थ' शामिल हुई हैं.
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यह ट्रायल फिलहाल छह महीने के लिए शुरू की गई है. डेनिस ने कहा, "सुनने में लगता है कि यह कैसे हो सकता है, लेकिन हर सबूत बताता है और मुझे पूरा यकीन है कि छह महीने की ट्रायल इसे साबित कर देगी और हम इसे जारी रखेंगे.”
काम के नए तरीकों को लेकर कुछ लोगों की चिंताएं भी हैं. मसलन, यह कहा जा रहा है कि चार दिन में पांच दिन का काम खत्म करना होगा. क्या इसका अर्थ यह होगा कि लोग प्रतिदिन ज्यादा घंटे काम करेंगे? डेनिस ने अपने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया है कि काम के घंटे बढ़ाए नहीं जाएंगे. वह कहते हैं, "कुछ मॉडल इस बात पर आधारित हैं कि आप पांच दिन को चार दिन में समेट दो. लेकिन हम ऐसा नहीं कर रहे हैं. हम कह रहे हैं कि आप सोमवार से गुरुवार तक वैसे ही काम करते रहिए, जैसे करते हैं. यानी 8-5 या फिर 9-5, जो भी आप करते रहे हैं, और हम आपको एक दिन की छुट्टी अतिरिक्त दे रहे हैं.”
कई हिस्सों में परीक्षण
पिछले हफ्ते ब्रिटेन में 70 कंपनियों ने चार दिन के हफ्ते की शुरुआत कर दी है. इसका फायदा 3,300 कर्मचारियों को मिल रहा है. ‘4 डे वीक ग्लोबल' नामक एक संस्था ने यूके के अलावा अमेरिका में भी ऐसी ही ट्रायल शुरू करवाई है. अमेरिका और कनाडा में 38 कंपनियां इस ट्रायल में हिस्सा ले रही हैं.
इससे पहले आइसलैंड और स्कॉटलैंड में भी ऐसे ही परीक्षण हो चुके हैं और वे काफी सफल रहे थे. इस बारे में सबसे बड़ा ट्रायल 2015 से 2019 के बीच हुआ था जबकि आइसलैंड के सरकारी क्षेत्र के 2,500 कर्मचारियों ने हफ्ते में चार दिन काम किया और तब विशेषज्ञों ने कहा कि उत्पादकता में कोई कमी नहीं आई.
‘4 डे वीक ग्लोबल' के साथ इस परीक्षण का अध्ययन कई विशेषज्ञ कर रहे हैं जिनमें न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी और सिडनी यूनिवर्सिटी व अमेरिका का बॉस्टन कॉलेज शामिल हुआ है.
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हफ्ते में चार दिन की इस अवधारणा को लेकर अभियान छेड़ने वाले ‘4 डे वीक ग्लोबल' के संस्थापक ऐंड्र्यूज बार्न्स कहते हैं कि इस परियोजना का मकसद सिर्फ काम और आराम के बीच संतुलन व उत्पादकता नहीं है. एक बयान में उन्होंने कहा, "महामारी शुरू होने से बहुत पहले हमने इस बात को पहचान लिया था कि पांच दिन का हफ्ता अपना मकसद पूरा नहीं कर पा रहा है. इसी आधार पर हमने कई परीक्षण किए और स्थापित किया कि बहुत सारे अन्य फायदों के अलावा जलवायु संतुलन स्थापित करने के लिए भी यह एक आवश्यक कदम है.” स्पेन और स्कॉटलैंड में भी इस साल सरकार समर्थित परीक्षण शुरू होने हैं.
रिपोर्टः विवेक कुमार