26/11 के मामले में पाकिस्तान पर अमेरिकी दबाव
२३ जुलाई २०१०वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा कि समूचे क्षेत्र और खुद पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह मुंबई आतंकवादी हमले की जांच करे और दोषियों को कठघरे में खड़ा करे.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत में अमेरिका इस सवाल को उठाता रहेगा कि 26 नवंबर के हैवानी हमले की जांच कितनी ज़रूरी है, जिसमें 166 लोगों की जानें गई थीं. पाकिस्तान को इस सिलसिले में कई क़दम उठाने पड़ेंगे. जांच जारी रखना व दोषियों को सज़ा देना इनमें से प्रमुख हैं.
भारत का आरोप है कि पाकिस्तान से काम कर रहा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा इस हमले के पीछे रहा है. इस हमले में पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसब को फांसी की सजा मिल चुकी है.
पाकिस्तान में इस सिलसिले में सात संदिग्धों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेशन कमांडर ज़कीउर्रहमान लखवी भी शामिल है. भारत चाहता है कि इस्लामाबाद इस हमले के लिए ज़िम्मेदार मुख्य लोगों के ख़िलाफ़ क़दम उठाए.
विदेश विभाग के प्रवक्ता क्राउली का कहना था कि इन आतंकवादियों के ख़िलाफ़ क़दम उठाने से न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि पाकिस्तान को भी लाभ होगा. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान की मदद करना अमेरिका की नीति का अंग है. वह पाकिस्तान को खतरा पहुंचा रहे विद्रोहियों के खिलाफ संघर्ष में वहां की सरकार की मदद करता रहेगा.
क्राउली का कहना था कि इस संघर्ष में पिछले एक सालों के दौरान महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की जा सकी है. यह पाकिस्तान के साथ हाल में इस्लामाबाद में हुए अमेरिका के स्ट्रैटेजिक संवाद का एक मुख्य मुद्दा था.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: आभा एम