70 साल के हुए भारत और जर्मनी के कूटनैतिक संबंध
७ मार्च २०२१कूटनैतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर अपने विशेष संदेश में एस जयशंकर ने आज के दिन को पारस्परिक संबंधों में विशेष दिन बताया. उन्होने कहा कि विज्ञान, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग को बड़े पैमाने पर छात्रों के आदान प्रदान में भी देखा जा सकता है. भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के व्यापक सहयोग में जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा परिषद के सुधारों सहित बहुत से मुद्दे शामिल हैं, दोनों देश आतंकवाद पर जीत पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
एस जयशंकर ने इंडो पेसिफिक को दोनों देशों के सहयोग का नया इलाका बताते हुए कहा कि जर्मनी ने भारत के साथ सहयोग के निर्देश जारी किए हैं ताकि इलाके में नौवहन की आजादी और कानून सम्मत व्यवस्था की गारंटी हो सके. दो दिन पहले ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास ने टेलिफोन पर बातचीत की और द्विपक्षीय संबंधों का जायजा लिया. साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी से पैदा हुई स्थिति के अलावा क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की.
जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास ने अपने संदेश में कहा कि 1951 में ताजा नियुक्त जर्मन राजदूत ने अपनी पहली रिपोर्ट में भारत और जर्मनी के बीच साझा भविष्य के लिए अर्थपूर्ण सबंधों की उम्मीद जताई थी. हाइको मास ने कहा, "उस समय की उम्मीदें आज हकीकत हैं. जर्मनी और भारत रणनैतिक साझेदार हैं, हमारा जीवंत लोकतंत्र हमें जोड़ता है." जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय गठबंधन में साथी के रूप में कानून आधारित वैश्विक व्यवस्था की वकालत करते हैं. हाइको मास ने कहा कि इंडो पेसिफिक पर जर्मनी के पहली बार जारी विदेशनैतिक निर्देश में इलाके के भविष्य के लिए भारत के साथ और निकट संवाद पर जोर है.
यूं तो भारत और जर्मनी के बीच कारोबारी, लोगों के आने जाने और मानवीय स्तर पर संबंध 500 साल से ज्यादा पुराने हैं, लेकिन आधुनिक काल में कूटनैतिक संबंधों की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 7 मार्च 1951 को हुई. 1949 में संघीय जर्मन गणराज्य की स्थापना के बाद उसे मान्यता देने वालों में भारत शुरुआती देशों में शामिल था. हालांकि लोकतंत्र और कानून का राज्य जैसे साझा सिद्धांतों और पांच सदी के कारोबारी संबंधों के कारण दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध स्वाभाविक थे लेकिन इस पर शीतयुद्ध का साया रहा और कुछ ही साल बाद भारत और जर्मनी ने एक दूसरे को परस्पर विरोधी खेमों में पाया. इसके बावजूद शिक्षा, संस्कृति, और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में संबंधों में लगातार विकास होता रहा है.
1990 में जर्मनी के एकीकरण के बाद भारत ने एकीकरण का समर्थन किया लेकिन साथ ही आर्थिक उदारीकरण के बाद जर्मनी से उसकी मदद की अपेक्षाएं भी थीं. हालांकि जर्मनी एकीकरण की अपनी समस्याओं में उलझा था, लेकिन दोनों देश द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार साथ काम कर रहे थे. इसी अवधि में दोनों देशों के बीच रणनैतिक सहयोग संधि हुई जो इसी साल 20 साल की हो रही है. भारत में जर्मन राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने दोनों देशों के संबंधों को करीबी दोस्तों के बीच रणनैतिक साझेदारी बताया है.
भारतीय विदेश मंत्री ने जर्मनी के साथ कूटनैतिक संबंधों की सथापना के मौके पर एक लोगो भी लॉन्च किया जिसे एक प्रतियोगिता के जरिए चुना गया है. इस प्रतियोगिता का आयोजन बर्लिन स्थित जर्मन दूतावास ने किया था. भारत और जर्मनी के नागरिकों के बीच आयोजित इस प्रतियोगिता में जीतने वाली प्रविष्टि मध्य प्रदेश के नरेश अग्रवाल की रही.
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