84 दंगों में पुलिस ने आंखें मूंदे रखीं: सीबीआई
३१ मार्च २०१२कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पर दिल्ली कैंट इलाके में एक भीड़ को उकसाने का आरोप है. इसी मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील आरएस चीमा ने राजधानी की एक अदालत में कहा कि दिल्ली पुलिस ने वैसे कदम नहीं उठाए, जैसे उसे उठाने चाहिए थे. इसी तरह के आरोप गुजरात की सरकार पर लगते हैं, जहां 2002 के दंगों में 1000 से ज्यादा लोग मारे गए.
चीमा ने अतिरिक्त सेशन जज जेआर आर्यन की अदालत में कहा, "यह ऐसा मामला था, जहां पुलिस ने पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से काम किया और अपनी आंखें बंद रखीं." उन्होंने बताया कि दंगों से जुड़े 150 मामले आए लेकिन सिर्फ पांच एफआईआर दर्ज किए गए.
उन्होंने कहा, "पुलिस ने जो कदम उठाए, वह भी उन लोगों के खिलाफ, जिन्होंने सिखों की मदद की. जो लोग कसूरवार थे, उनके खिलाफ कुछ नहीं किया गया. दंगों के दौरान किसी पुलिसवाले ने शिकायत नहीं दर्ज की. वे पीड़ित लोगों को बचाने की कोशिश भी नहीं कर रहे थे."
सीबीआई के वकील ने पुलिस के आला अधिकारियों पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि बड़े अधिकारी इन मामलों में चश्मदीद गवाह हैं लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने दंगों के दौरान कुछ नहीं देखा. सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि क्या छह आरोपियों सज्जन कुमार, गिरधारी लाल, महेंद्र यादव, किशन खोखर, बलवान खोखर और कैप्टन भागमल के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं कि उन्होंने लोगों की भीड़ सिखों की हत्या करने के लिए उकसाया.
जज ने पूछा, "चश्मदीदों के अलावा क्या आपके पास प्रेस रिपोर्ट या फोटोग्राफ हैं, जिनमें इस बात का जिक्र किया गया हो कि सज्जन कुमार भीड़ को उकसा रहे थे. क्या आपके पास आरोपी के खिलाफ साफ सबूत है." वकील ने कहा कि उनके पास मीडिया की रिपोर्टें तो नहीं हैं लेकिन उनके पास कुछ पक्के सबूत हैं और वे दो अप्रैल को इसे अदालत के सामने पेश कर सकते हैं. उसी दिन मामले की अगली सुनवाई होनी है.
कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और पांच आरोपियों पर भीड़ को उकसाने के मामले में कार्रवाई चल रही है. आरोप है कि कुमार सहित इन लोगों ने दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाया. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे फैल गए थे. लगभग दो दिनों तक सिखों के खिलाफ नरसंहार होता रहा.
अपनी दलील पेश करते हुए चीमा ने कहा, "यह कोई जाती दुश्मनी का मामला नहीं था. यह सामूहिक हत्या थी. यह एक नरसंहार था, जहां समाज के एक खास तबके के लोगों को निशाना बनाया गया. सिख समुदाय के लोगों को मारा गया."
1984 की इस घटना पर 2005 में जस्टिस नानावती की सिफारिश के बाद सज्जन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह