मोचा की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार को 20 साल की जेल
७ सितम्बर २०२३म्यांमार की सैन्य अदालत ने स्वतंत्र न्यूज सर्विस, म्यांमार नाओ के एक फोटोजर्नलिस्ट को 20 साल जेल की सजा दी है. साई जाव थाइके नाम के पत्रकार को यह सजा चक्रवाती तूफान मोचा की रिपोर्टिंग करने के लिए दी गई है. फरवरी 2021 में आंग सांग सू ची की सरकार के तख्तापलट के बाद म्यांमार में यह किसी पत्रकार को दी गई अब तक की सबसे कड़ी सजा है.
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प्रेस की आजादी के लिए लड़ने वाले संगठन रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक म्यांमार धरती पर पत्रकारों के लिए दूसरी सबसे बड़ी जेल बन चुका है. अप्रैल 2023 में किए गए इस दावे में पहले नंबर पर चीन को रखा गया था. 180 देशों के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में म्यांमार 176वें नंबर पर है.
कुचली जा चुकी है प्रेस की आजादी
तख्तापलट के बाद भूमिगत होकर काम करने वाली न्यूज एजेंसी म्यांमार नाओ के मुताबिक 40 साल के साई को पहली ही सुनवाई में सैन्य अदालत ने सजा सुना दी. साई, गिरफ्तारी के वक्त रखाइन प्रांत की राजधानी सितवे में मोचा से हुए नुकसान की रिपोर्टिंग कर रहे थे. म्यांमार नाओ के मुताबिक 23 मई 2023 को हुई गिरफ्तारी के बाद परिवार को कभी साई से मिलने नहीं दिया गया. साई को अपना पक्ष रखने के लिए कोई कानूनी सहायता भी नहीं दी गई.
देश से बाहर रह रहे म्यांमार नाओ के मुख्य संपादक स्वे विन के मुताबिक, "उन्हें दी गई सजा इस बात का एक और संकेत है कि सैन्य शासक जुंटा के राज में प्रेस की आजादी पूरी तरह खत्म कर दी गई है, और ये सजा दिखाती है कि अपना पेशेवर काम करने वाले म्यांमार के स्वतंत्र पत्रकारों को कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है."
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म्यांमार में तख्तापलट के बाद कम से कम 13 मीडिया संस्थानों के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं. एक स्थानीय निगरानी संगठन के मुताबिक देश में अब तक कम से कम 156 पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है, इनमें से 50 अब भी हिरासत में हैं. संगठन का आरोप है कि हिरासत में यातना दिए जाने से चार पत्रकारों की मौत भी हो चुकी है.
पत्रकार पर गुमराह करने और भय फैलाने का आरोप
रिपोर्टिंग के दौरान साई सितवे हुए में मोचा से हुए नुकसान को दर्ज कर रहे थे. तूफान से रखाइन में 148 लोगों की मौत हुई और 1.86 लाख घरों को नुकसान पहुंचा.रखाइन में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. म्यांमार की सरकार और सेना पर रोहिंग्याओं के दमन और जनसंहार के आरोप हैं.
साई पर कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. इनमें राष्ट्रद्रोह की धारा भी थी. मिलिट्री कोर्ट ने उन्हें समाज में भय फैलाने, गलत खबर फैलाने और लोगों को सेना या सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध भड़काने का आरोपी बनाया था. इन अपराधों के लिए अधिकतम सजा तीन साल है. म्यांमार नाऊ के मुताबिक फैसले की आधिकारिक कॉपी अभी नहीं मिल सकी है, इसीलिए यह बताना मुश्किल है कि 20 साल की सजा किन आरोपों के आधार पर दी गई है.
एसबी/ओएसजे (एपी)