पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू का कार हादसे में निधन
१६ फ़रवरी २०२२किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर प्रदर्शन के चलते गिरफ्तारी के बाद जमानत पर चल रहे पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू की दिल्ली के पास एक कार हादसे में मौत हो गई. वह 38 साल के थे.
हादसा दिल्ली के पास से गुजरने वाले कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर हुआ, जब एक सफेद महिंद्रा स्कॉर्पियो ट्रेलर ट्रक से टकरा गई. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि स्कॉर्पियो का ड्राइवर की ओर का पूरा हिस्सा बुरी तरह कुचला गया.
हरियाणा के सोनीपत जिले में डीएसपी वीरेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि उनकी कार ने ट्रक को टक्कर मारी जिसके बाद सिद्धू की मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस ने कहा कि घटना की जानकारी रात करीब 9 बजे मिली. कार में सिद्धू के साथ उनकी दोस्त भी थी, लेकिन उन्हें ज्यादा गंभीर चोटें नहीं आई हैं.
किसान आंदोलन से हुआ चर्चा
वकील, एक्टिविस्ट और एक्टर दीप सिद्धू को दिल्ली पुलिस ने पिछले साल फरवरी में गिरफ्तार किया था. उन पर लाल किले पर हुए किसान प्रदर्शन के दौरान हिंसा की साजिश करने का आरोप था. यह प्रदर्शन उन कृषि कानूनों के कारण हुआ था जिसे भारत सरकार ने पिछले साल नवंबर में वापस ले लिया था.
लाल किला हिंसा मामले में दीप सिद्धू गिरफ्तार
सिद्धू को पिछले साल अप्रैल में जमानत पर छोड़ा गया लेकिन कुछ ही दिना बाद दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि दिल्ली की एक अदालत ने बाद में उन्हें फिर इस शर्त पर जमानत दे दी थी कि पुलिस जब भी उन्हें पूछताछ के लिए बुलाएगी, वह हाजिर होंगे.
श्रद्धांजलियां
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी समेत कई नेताओं ने दीप सिद्धू की मौत पर अफसोस जाहिर किया है. चन्नी ने ट्विटर पर लिखा, "जानेमाने एक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता दीप सिद्धू के असमय निधन से बहुत दुख हुआ. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं.”
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान ने भी सिद्धू को याद करते हुए ट्वीट किए. विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (बादल) के नेता सुखबीर सिंह बादल ने ट्विटर पर लिखा, "पंजाबी एक्टर और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू की असमय मौत से उनके प्रशंसकों और पूरे फिल्म जगत को आघात पहुंचा है. वकील से कलाकार बने मुक्तसर के सिद्धू बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे.”
सिद्धू का परिवार मुक्तसर जिले के उडेकरां गांव का रहने वाला था लेकिन 1980 के दशक में उन्होंने गांव छोड़ दिया था. उनके पिता भी एक वकील थे और गिदड़बाहा में वकालत करते थे.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)