प्रधानमंत्री की रैली रद्द होने पर विवाद
६ जनवरी २०२२बीजेपी ने आरोप लगाया है कि पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री के काफिले के रास्ते में जो अवरोध हुआ वो उनकी हत्या की कोशिश की साजिश थी. बीजेपी ने सीधे सीधे पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर इस साजिश को रचने का आरोप लगाया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे एक गंभीर चूक बताते हुए मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. पंजाब सरकार ने पूरे घटनाक्रम की जांच करने के लिए दो सदस्यीय समिति बनाई है और उसे तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा है. समिति में पंजाब सरकार के गृह मंत्रालय के प्रधान सचिव अनुराग वर्मा और पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस महताब गिल हैं.
इस घटना पर मनिंदर सिंह नाम के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली है, जिसमें उन्होंने पंजाब के कई वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित करने की और अदालत की निगरानी में पूरे मामले की जांच कराए जाने की अपील की है. अदालत शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करेगी.
क्या हुआ फिरोजपुर में
बुधवार को पंजाब में प्रधानमंत्री के कई कार्यक्रम तय थे. उन्हें पाकिस्तान की सीमा से लगी हुसैनीवाला सीमा पर राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करनी थी. उसके बाद उन्हें फिरोजपुर में एक रैली को संबोधित करना था और कई केंद्रीय परियोजनाओं का लोकार्पण भी करना था.
लेकिन उनके बठिंडा हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद वहां लगातार हो रही बारिश की वजह से उनके कार्यक्रम में बदलाव किया गया. सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक स्मारक तक उन्हें हेलीकॉप्टर से जाना था लेकिन जब 20 मिनटों तक इंतजार करने के बाद भी बारिश नहीं रुकी तब उन्होंने सड़क के रास्ते से ही वहां जाने का निर्णय किया.
लगभग 100 किलोमीटर की इस यात्रा में करीब दो घंटों का समय लगना था. विज्ञप्ति के मुताबिक स्मारक से करीब 30 किलोमीटर पहले जब प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर पहुंचा तो वहां पहुंचने के बाद पता चला कि उसे कुछ प्रदर्शनकारियों ने बंद किया हुआ था.
इस वजह से काफिला 15 से 20 मिनट तक फ्लाईओवर पर ही फंसा रहा और उसके बाद वापस बठिंडा हवाई अड्डे की तरफ मुड़ गया. सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रधानमंत्री के पूरे कार्यक्रम के बारे में पंजाब सरकार को काफी पहले से बता दिया गया था और उसके बावजूद इस तरह की घटना का होना प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एक बड़ी चूक है.
जिम्मेदारी किसकी
पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने पूरे घटनाक्रम पर खेद व्यक्त किया है और कहा है कि ऐसा प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में आखिरी समय में बदलाव किए जाने की वजह से हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के डीजीपी ने पहले ही केंद्र से कहा था कि मौसम और किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए इस दौरे को स्थगित कर आगे बढ़ा देना चाहिए.
प्रधानमंत्री की सुरक्षा एसपीजी की जिम्मेदारी होती है. जब भी प्रधानमंत्री को कहीं जाना होता है तो उनकी यात्रा और मिनट दर मिनट उस दिन का पूरा कार्यक्रम कुछ दिनों पहले ही तय हो जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में राज्य की सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय प्रशासनिक एजेंसियां भी शामिल होती हैं.
मौसम का पूर्वानुमान भी लिया जाता है और अगर किसी वजह से प्रधानमंत्री उड़ान नहीं भर सके तो सड़क मार्ग से जा सकें इसके लिए पहले से एक मार्ग चिन्हित किया जाता है. फिर उस रास्ते का पूरा मुआयना कर हर तरह की रुकावटों को हटा दिया जाता है.
अनसुलझे सवाल
अधिकांश अवसरों पर कार्यक्रम एक बार तय हो जाने के बाद उसमें कोई बदलाव नहीं किए जाते हैं. इसके बावजूद कई बार कई तरह के बदलाव देखे गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी के काफिले को कई बार सामान्य ट्रैफिक में बढ़ते हुए देखा गया है. नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री के काफिले को दिल्ली में सामान्य ट्रैफिक के बीच और ट्रैफिक सिग्नलों पर रुकते हुए भी देखा गया था.
लेकिन फिरोजपुर वाले पूरे प्रकरण में कई सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं, जैसे ऐसा कैसे हो गया कि काफिले के फ्लाईओवर पर पहुंचने के बाद ही पता चला कि उसे ब्लॉक कर दिया गया है और इस चूक के लिए जिम्मेदार एसपीजी है या राज्य पुलिस? इन सवालों के जवाब शायद जांच के बाद ही सामने आ पाएंगे.
कांग्रेस ने यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री की रैली में बड़ी संख्या में लोगों के नहीं आने की वजह से उन्होंने रैली रद्द की और सुरक्षा में चूक का बहाना बनाया. पंजाब में विधान सभा चुनाव होने हैं और अब वापस लिए जा चुके कृषि कानूनों की वजह से लोगों में बीजेपी के प्रति काफी नाराजगी है.
ऐसे में प्रधानमंत्री की रैली का रद्द होना और इसे उनकी हत्या की साजिश बताए जाने को भी चुनावों से जोड़ कर देखा जा रहा है.