दवाओं की भारी किल्लत, विदेशी मदद लेने को मजबूर श्रीलंका
३१ अक्टूबर २०२२श्रीलंका में दवाओं की भारी कमी हो गई है जिससे देश को अंतरराष्ट्रीय मदद मांगने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. अस्पतालों में मरीजों को आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं होने से स्थिति गंभीर होती जा रही है और इस कमी के कारण ऑपरेशन में देरी हो रही है. श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री केहेलिया रामबुकवीला ने अधिकारियों को दवा की कमी और अस्पतालों की स्थिति की समीक्षा के लिए दैनिक आपातकालीन बैठकें बुलाने के आदेश जारी किए हैं. चिकित्सा संघों और डॉक्टरों ने देश में गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थिति और दवाओं की कमी के बारे में गंभीर चिंता जाहिर की है.
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लगभग 2.2 करोड़ की आबादी वाले द्वीपीय देश श्रीलंका में दवा की कमी लगातार बढ़ती जा रही है. इसका मुख्य कारण आर्थिक संकट है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. अन्य दैनिक वस्तुओं की खरीद के साथ-साथ चिकित्सा आपूर्ति के भुगतान के लिए इन विदेशी मुद्राओं की आवश्यकता केंद्रीय महत्व की है. इस संकट से पहले श्रीलंका में ईंधन और गैस की गंभीर कमी रही है. आर्थिक संकट के कारण देश में अशांति थी और लोग विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद देश में आपातकाल की स्थिति लागू कर दी गई और यहां तक कि देश के राष्ट्रपति भी देश छोड़कर भाग गए.
श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी करीब 150 आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी है. सबसे महत्वपूर्ण वे दवाएं हैं जो सर्जरी या ऑपरेशन के बाद मरीजों को दी जानी हैं. ताजा स्थिति के बारे में समाचार एजेंसी डीपीए से बात करते हुए सरकारी चिकित्सा अधिकारियों के संघ की प्रवक्ता डॉ. हरिथा अलोथगे ने कहा, ''हमें देश भर के अस्पतालों से इस बारे में शिकायतें मिल रही हैं.'' दवाओं की कमी या सर्जिकल प्रक्रियाओं को रद्द करने के मामलों की भी रिपोर्टें हैं, जो आपातकालीन मामले नहीं हैं.
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हालांकि, श्रीलंका में दवा की कमी के कारण मृत्यु के आंकड़े तत्काल उपलब्ध नहीं थे. इस बीच श्रीलंका ने भारत से दवाओं की खरीद के लिए 25 करोड़ डॉलर की उपलब्धता में तेजी लाने का आग्रह किया है, जबकि कोलंबो सरकार ने दुनिया भर के अन्य देशों से मदद की अपील की है. श्रीलंका भी खाद्य और ईंधन आयात के भुगतान के लिए अंतरराष्ट्री मुद्रा कोष से सहायता की अपील कर रहा है.
एए/सीके (डीपीए, रॉयटर्स)